आकाश द्विवेदी/भोपालः मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code in MP) को लेकर बड़ा बयान दिया है. दरअसल बड़वानी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि देश में समान नागरिक संहिता लागू होनी चाहिए. उन्होंने इसके लिए एक कमेटी बनाने की भी बात कही. सीएम के इस बयान से एमपी की राजनीति गरमा गई है. कांग्रेस ने सीएम के बयान को चुनावी शिगूफा बता दिया है. वहीं कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद (Arif Masood) ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. 


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क्या बोले आरिफ मसूद
कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद एमपी में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करने की बात पर भड़क गए हैं. उन्होंने कहा कि यह मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को ठेस पहुंचाने वाला काम है. कांग्रेस विधायक ने कहा कि "मुस्लिम पर्सनल लॉ का नाम हाईलाइट कर मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने और चुनाव जीतने का स्टंट है. मैं इसका घोर विरोध करता हूं." समान नागरिक संहिता पर सवाल उठाते हुए आरिफ मसूद ने सवाल किया कि आदिवासियों के लिए अलग कानून है, उसके लिए क्या करेंगे? आरिफ मसूद ने सीएम के बयान को सिर्फ जुमलेबाजी करार दिया. 


गृहमंत्री बोले- अब वक्त आ गया है
वहीं एमपी में समान नागरिक संहिता लागू होने के सवाल पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि स्वरा भास्कर, कन्हैया कुमार के साथ घूमने से भारत नहीं जुड़ता. भारत जुड़ता है जब धारा 370 हटती है. जब सीएए लागू होता है. भारत जुड़ता है जब तीन तलाक जैसी कुप्रथा खत्म होती है. नरोत्तम मिश्रा ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि आपके पूर्वजों ने तो बाबा साहब अंबेडकर की पुरजोर पैरवी के बावजूद समान नागरिक संहिता को लागू नहीं होने दिया था. 


गृहमंत्री ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि जब एक राष्ट्र, एक विधान, एक संविधान और एक निशान की परिकल्पना मूर्त रूप ले. समान नागरिक संहिता के विरोध पर नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में जीती हुई शाहबानो को हराने वाले, राजनीतिक तुष्टीकरण की दृष्टि रखने वाले कुछ लोगों को पेट में दर्द जरूर हो सकता है. गृहमंत्री ने कहा कि मेरा आग्रह है कि कमलनाथ भी समान नागरिक संहिता के बारे में अपना व्यापक दृष्टिकोण प्रदेश की जनता के सामने रखें. 


क्या होती है समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code)
समान नागरिक संहिता कानून के तहत सभी लोगों पर एक सा कानून लागू होता है. भले ही वह किसी भी धर्म का क्यों ना हो. देश में अभी अलग-अलग धर्मों के में शादी, तलाक, विरासत और गुजारे भत्ते के लिए अलग-अलग कानून हैं. यूनिफॉर्म सिविल कोड के तहत सभी धर्मों के लिए एक नियम होगा.