शुभम शांडिल्य/नई दिल्लीः (Vat Savitri Vrat 2022) हिंदू धर्म की महिलाएं परिवार की सुख-समृद्धि और पति की लंबी आयु के लिए वट सावित्री व्रत रखती हैं. यह त्यौहार ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन पड़ता है. इस बार यह त्यौहार 30 मई को मनाया जाएगा. इस दिन महिलाएं व्रत रहकर वट वृक्ष की पूजा करती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि महिलाएं वट सावित्री व्रत में वट(बरगद) वृक्ष की ही पूजा क्यों करती हैं? आइए जानते हैं क्या है वट सावित्री व्रत का पौराणिक महत्व और क्यों की जाती है वट वृक्ष की पूजा? 


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क्यों की जाती है वट वृक्ष की पूजा
धार्मिक मान्यता अनुसार सावित्री के पति सत्यवान की दीर्घआयु में ही मृत्यु हो गई. जिसके बाद सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे अपने पुण्य धर्म से यमराज को प्रसन्न करके अपने मृत पति के जीवन को वापस लौटाया था. यही वजह है कि सावित्री व्रत के दिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं. वट सावित्री व्रत में देवी सावित्री की पूजा की जाती है.


 


वट वृक्ष का धार्मिक महत्व
वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ में त्रिदेव यानी जड़ में ब्रम्हा जी, तन में विष्णु जी और सबसे ऊपर भोले शंकर का निवास माना जाता है. बरगद के वृक्ष में इन तीनों देवताओं के वास के चलते इसे देव वृक्ष कहा जाता है. 


 


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वट सावित्री व्रत कथा
अश्वपति नामक राजा की कोई संतान नहीं थी. जिसके वजह से राजा ने यज्ञ करवाया जिसके बाद उनके घर कन्या ने जन्म लिया. जिसका नाम उन्होंने सावित्री रखा. सावित्री का विवाह राजा ने घुमत्सेन नामक राजा के लड़के सत्यवान से कर दिया. इसी बीच घुमत्सेन का सारा राजपाट छिन गया. जिसके बाद सावित्री अपने सास-ससुर और पति के साथ जंगल में बरगद के पेड़ के नीचे रहने लगी. इसी बीच उनके सास-ससुर के आंखों की रोशनी चली गई. 


 


सत्यवान एक दिन जंगल में लकड़ी काट रहे थें. इसी बीच उनके सिर में दर्द हुआ और वे जमीन पर लेट गए. सावित्री ने उनका सिर अपनी गोद में लेकर दाबने लगी. इसी बीच यमराज ने आकर बोला कि इनका समय पूरा हो गया है. मैं इन्हें ले जा रहा हूं. यमराज के पीछे-पीछे सावित्री भी चल पड़ी. यमराज ने सावित्री की तप को देखते हुए वर मांगने को कहा. सावित्री ने अपने सास-ससुर के आंखों की रोशनी मांगी. इसके बाद भी सावित्री यमराज के पीछे-पीछे चलती रही. यमराज ने सावित्री से दूसारा वर मांगने को कहा, सावित्री ने अपने सास-ससुर के राज्य को वापस लौटाने को कहा.


 


इसके बाद भी सावित्री यमराज का पीछा नहीं छोड़ी और उनके पीछे चलती रही. यमराज सावित्री की निष्ठा को देखते हुए अत्यधिक प्रसन्न हुए और उनसे अंतिम वर मांगने को कहा. जिसमें सावित्री ने अपने पति के प्राणों को वापस मांगने को कहा. यमराज ने उनके पति सत्यवान को मृत्यु के बंधन से मुक्त कर दिया. जिसके बाद सावित्री वापस आकर वट वृक्ष के पास गई. जहां उनके पति मृतक अवस्था में पड़े थे. सावित्री के पहुंचते ही उनके शरीर में जान आ गया और वे उठ बैठें. 


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disclaimer: इस लेख में दी गई समस्त जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.  


 


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