प्रमोद शर्मा/विदिशा: नगर निकाय चुनाव में टिकट वितरण को लेकर खासा असंतोष देखने को मिल रहा है. विदिशा में भी भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने टिकट वितरण के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. वहीं कई युवा नेता भी पार्टी के फैसले से नाराज दिखाई दे रहे हैं. इस पूरे असंतोष के चलते विदिशा में भाजपा में भीतरघात का खतरा पैदा हो गया है. 


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बीजेपी की परंपरागत सीट के लिए बढ़ा खतरा
विदिशा भाजपा की परंपरागत सीट मानी जाती है लेकिन पार्टी के भीतर अतर्कलह के चलते 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को यहां हार का सामना करना पड़ा था. अब नगरीय निकाय चुनाव में भी अंतर्कलह साफ दिखाई दे रही है. ऐसे में यदि अंतर्कलह के चलते भाजपा नगरीय निकाय चुनाव में विदिशा का किला फतह नहीं कर पाई तो 2023 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की राह मुश्किल हो सकती है.  


बता दें कि पार्षद टिकट वितरण के खिलाफ पार्टी के वरिष्ठ नेता और जनपद अध्यक्ष रहे छत्रपाल शर्मा ने पार्टी नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. वहीं टिकट ना मिलने के चलते पार्टी के युवा चेहरे नितिन माहेश्वरी भी नाराज दिखाई दे रहे हैं और उन्होंने प्रदेश भाजपा दफ्तर से लेकर जिले भर में पार्टी नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. विदिशा में करीब एक दर्जन नेता ऐसे हैं जो पार्टी में कथित उपेक्षा का शिकार होकर विरोध में उतर आए हैं. 


आरोप है कि लॉबिंग के चलते पिछली बार निर्विरोध पार्षद बनने वाले नेताओं के टिकट काट दिए गए हैं और हारने वाले और बाहरी नेताओं को टिकट दे दिया गया है. इसके चलते भाजपा में भीतरघात का खतरा बढ़ गया है. 


बता दें कि विदिशा विधानसभा पर बीजेपी का कब्जा कई दशकों से रहा है लेकिन 2018 के चुनाव में भाजपा को अप्रत्याशित तरीके से हार का सामना करना पड़ा. पिछले चुनाव में बीजेपी नेता मुकेश टंडन को कांग्रेस नेता शशांक भार्गव के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. बीजेपी की हार के पीछे अंतर्कलह को वजह बताया गया था.