Sengol At New Parliament:  नए संसद भवन का उद्घाटन हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूजा और हवन करने के बाद सेंगोल की भी पूजा की. उन्होंने इस दौरान राजदंड सेंगोल को साष्टांग प्रणाम किया. साथ ही उन्होंने वहां मौजूद साधुओं से आशीर्वाद लिया. इसके बाद पीएम मोदी ने सेंगोल को सदन में सभापति की कुर्सी के पास स्थापित कर दिया. बता दें कि 14 अगस्त 1947 की रात को एक अनूठी प्रक्रिया के तरह अंग्रजों से सत्ता हस्तांतरण के तौर पर भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इसे स्वीकार किया था. जिसे अब नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा.



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बता दें कि प्रेस कॉफ्रेंस में इसकी जानकारी देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि देश के इतिहास में एक ऐसा वाक्या हुआ था जिसकी जानकारी देश के अधिकतर लोगों को नहीं है.


 


क्या है सेंगोल?
दरअसल सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक माने जाने वाले इस गदा नुमा वस्तु को तमिल में सेंगोल कहा जाता है. इसका अर्थ संपदा से जोड़ा जाता है. सेंगोल की हमारे इतिहास में काफी बड़ी भूमिका है. एक तरफ जहां अंग्रेजों से भारत को सत्ता हस्तांरण का ये माध्यम है, तो वहीं पंडित नेहरू ने तमिलनाडू से आए सेंगोल को स्वीकार किया था.



आजादी का प्रतीक है
एक तरह से कहा जाए तो सेंगोल भारत की आजादी का प्रतीक है. 1947 में जब लॉर्ड माउंट बेटन ने पंडित जवाहर लाल नेहरू से पूछा कि सत्ता हस्तांतरण कैसे किया जाए? तब पंडित नेहरू ने राजा गोपालचारी से राय मांगी. फिर उन्होंने सेंगोल प्रक्रिया के बारे में बताया और सेंगोल को तमिलनाडू से बुलवाया गया. इसके बाद आधी रात पंडित नेहरू ने इसे स्वीकार किया.



स्पीकर के आसन के पास लगेगा
गृहमंत्री अमित शाह ने जानकारी देते हुए कहा कि सेंगोल को नए संसद भवन में स्पीकर के आसन के पास लगाया जाएगा. अमित शाह ने कहा कि सेंगोल की स्थापना के लिए संसद भवन से उपयुक्त और पवित्र स्थान कोई नहीं है. इसलिए जिन दिन संसद भवन देश को समर्पित होगा, उस दिन पीएम इसे लोकसभा स्पीकर के आसन के पास स्थापित करेंगे.