अजय मिश्रा/रीवा: मध्यप्रदेश (MP News) के रीवा में स्थित महाराजा मार्तंड सिंह जू देव टाइगर सफारी मुकुंदपुर में वर्ष 2016 में वन बिहार से यहां लाई गई पहली सफेद बाघिन की आज मौत हो गई है. जिसके बाद उसे श्रद्धांजलि देते हुए अंतिम संस्कार किया गया है. बताया जा रहा है कि जब मुकुंदपुर जू बनाया गया था. तब इसी बाघिन को पहली बार रीवा लाया गया था और लंबे समय से बीमार होने के चलते आज उसका निधन हो गया.


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2016 में  सफेद बाघिन को रीवा लाया गया 
दरअसल, सफेद शेरों की धरती रीवा की पहचान बनाए रखने के उद्देश्य से जब महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव के नाम से मुकुंदपुर टाइगर सफारी का निर्माण कराया गया था, जहां पर सफेद बाघ को रखा जा सके तो वर्ष 2016 में भोपाल के वन विहार से लाकर रीवा में सफेद बाघिन विंध्या को रखा गया था. जिसके बाद एक के बाद एक 3 सफेद बाघ रीवा की मुकुंदपुर टाइगर सफारी में रखे गए और उन्हीं में से एक विंध्या की आज मौत हो गई है.


 



 



आनन-फानन में अंतिम संस्कार किया गया
जानकारी के मुताबिक मुकुंदपुर टाइगर सफारी बनने के बाद पहली बार विंध्या नाम की सफेद बाकी गोरीवाला गया था और आज 15 साल 8 महीने की उम्र में उसने दम तोड़ दिया. बताया जा रहा है कि सफेद बाघिन विंध्या काफी लंबे समय से बीमार चल रही थी. जिसके चलते उसका खान-पान भी सही तरीके से नहीं हो पाया था और इसी के चलते आज उसकी मौत हो गई है. सफेद बाघिन विंध्या की मौत के बाद समूचे विंध्य क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ पड़ी और आनन-फानन में तमाम प्रशासनिक अमले के साथ सतना सांसद गणेश सिंह, रीवा सांसद जनार्दन मिश्रा, पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला सहित कई अधिकारी नेता मुकुंदपुर टाइगर सफारी पहुंचे और उन्होंने सफेद बाघिन को श्रद्धांजलि अर्पित की जिसके बाद उसका अंतिम संस्कार किया गया.


आपको बता दें कि साल 1952 में पहली बार मोहनिया के जंगलों में सफेद बाघ देखा गया था. जिसके बाद रीवा रियासत के महाराजा मार्तंड सिंह ने सफेद बाघ को पकड़कर गोविंदगढ़ के किले में रखा था और उसी सफेद बाघ मोहन के वंशज आज रीवा की पहचान बने हुए हैं. जिनमें से एक रही विंध्या ने आज अपना दम तोड़ दिया.