Kamal Nath and Congress: बाबू समझो इशारे... हिंदी फिल्म 'चलती का नाम गाड़ी' का ये गाना तो सभी ने सुना ही होगा. हो सकता है जेन जी जनरेशन ने न सुना हो, लेकिन उन लोगों ने तो सुना ही होगा जो कमलनाथ को जानते हैं. क्योंकि बाबू समझो इशारे... वाली बात आज कमलनाथ के ऊपर बिल्कुल फिट बैठ रही है. हिंदी बेल्ट की सियासत में इन दिनों कमलनाथ की खूब चर्चा रही है. कमलनाथ फेसबुक और इंस्टाग्राम चर्चा का मुद्दा बने हुए हैं. X पर तो वे टॉप ट्रेंडिंग में हैं. अटकलें लगाई जा रहीं हैं कि कमलनाथ कांग्रेस से करीब 50 साल पुराना नाता तोड़कर भाजपा का दामन थामने जा रहे हैं...


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बहरहाल, कमलनाथ भाजपा में शामिल होंगे या नहीं होंगे ये तो आने वाले वक्त में पता चल ही जाएगा, लेकिन उससे पहले उन्होंने और उनके सहयोगियों ने कई संकेत दे दिए कि वे कांग्रेस के नजदीक नहीं है. ये तो बात रही हालिया संकेतों की, लेकिन इससे पहले ही कमलनाथ के घटनाक्रमों ने कांग्रेस से दूर होने के इशारे दिए... बीते कुछ समय में कई ऐसे मौके आए जब-जब कमलनाथ कांग्रेस से दूर नजर आए...


इंडिया गठबंधन की रैली से दूरियां 
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की अगुवाई वाले 'इंडिया गठबंधन' की पहली साझा रैली होने जा रही थी. जिस समय हैदराबाद में दावा किया गया कि भोपाल में इंडिया गठबंधन की पहली रैली होगी, ठीक उसी समय भोपाल में कमलनाथ बता रहे थे कि रैली अब नहीं होगी, जबकि इंडिया गठबंधन की सर्वोच्च संस्था कोआर्डिनेशन कमेटी के महासचिव के सी वेणुगोपाल ने अपनी पहली बैठक में भोपाल में पहली रैली करने का ऐलान किया था. भोपाल में रैली कैंसिल करने के पीछे कमलनाथ का नाम ही आगे आया. यहां वे पहली बार पार्टी लाइन से अलग खड़े दिखाई दिए.


MP में पिछले पांच साल में ये दिग्गज नेता छोड़ चुके हैं कांग्रेस, क्या फेहरिस्त में जुड़ेगा कमलनाथ का नाम ?


विधानसभा चुनाव की हार और फिर गायब होना
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा. 2018 में 114 सीट जीतने वाली कांग्रेस 2023 के चुनाव में सिर्फ 66 सीटों पर ही सिमट गई. हार की जिम्मेदारी तब के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रहे और मुख्यमंत्री के फेस रहे कमलनाथ ने अपने कंथों पर ली. कई बड़े प्रत्याशी चुनाव हार गए. इस बीच कमलनाथ विदेश दौरे पर चले गए. वे विधानसभा सदस्यों के शपथ समारोह में भी शामिल नहीं हुए. इस दौरान उन्होंने कोई बयान नहीं दिया. कमलनाथ ने महीनेभर बाद लौटकर विधायक पद की शपथ ली. 


जीतू पटवारी को अध्यक्ष बनाना 
विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद जब कमलनाथ ने प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा नहीं दिया तो कांग्रेस ने जीतू पटवारी को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर दिया. खबर आई कि कमलनाथ नाराज हो गए. कमलनाथ ने ट्वीट कर नेताओं को बधाई दी, लेकिन कयास लगाए जाने लगे कि इस फैसले से संतुष्ट नहीं थे. कई वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि जब पार्टी का बेहतर प्रदर्शन ही नहीं रहा तो कमलनाथ ने पार्टी के प्रदेश प्रभारी और संगठन प्रभारी को बधाई किस आधार पर दी. जिस तरह पटवारी को अध्यक्ष बनाया गया, उससे पता चलता था कि इस फैसले की जानकारी कमलनाथ को नहीं थी. उन्होंने कई दिनों तो ट्विटर पर अपनी बायो में प्रदेश अध्यक्ष ही लिखा. 


कमलनाथ के BJP में शामिल होने की अटकलों पर बोले दिग्विजय सिंह, 'वे दवाब में नहीं आने वाले'


अशोक सिंह के नामांकन से दूरी
कुछ दिन पहले जब कांग्रेस की ओर से अशोक सिंह ने राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन किया तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे मौजूद रहे, लेकिन नामांकन के दौरान पूर्व सीएम कमलनाथ और दिग्विजय सिंह नजर नहीं आए. कहा जा रहा था कि कमलनाथ खुद राज्यसभा के जरिए केंद्र में सियासत में एंट्री चाहते थे. मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में हार और प्रदेश अध्यक्ष पद जाने के बाद उनके पास ज्यादा कुछ नहीं बचा था. छिंदवाड़ा सीट पर बेटे नकुलनाथ को ही चुनाव लड़ाने का ऐलान कर चुके थे. ऐसे में राज्यसभा न भेजना कमलनाथ की नाराजगी की भी एक वजह बन गई.


करीबियों ने दिए संकेत
चर्चाओं का बाजार गर्म हुआ तो कमलनाथ के करीबियों ने X (पहले ट्विटर) की बायो से 'कांग्रेस' को हटा दिया. ऐसा करने वालों में पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, विधायक सतीश सिकरवार, पूर्व मंत्री बाला बच्चन, विधायक अभीजीत शाह और खुद उनके बेटे नकुलनाथ का शामिल हैं. दिल्ली में जब कमलनाथ से पूछा गया कि वे भाजपा में शामिल हो रहे हैं? तो उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होगा तो जानकारी दी जाएगी. भोपाल स्थित बंगले से कांग्रेस के पोस्टर और झंडे नहीं दिखे. ये सभी संकेत बता रहे हैं कि कमलनाथ कांग्रेस के नजदीक नहीं है.