MP News: जनजातीय बाहुल्य बैतूल जिले से हर साल हजारों मजदूरों को काम के लिए अलग-अलग राज्यों में ले जाया जाता है, लेकिन वहां इन मजदूरों के साथ अमानवीय बर्ताव की घटनाएं होती रहती हैं. ऐसा ही एक मामला सामने आया है. जहां गुजरात के कच्छ जिले से बैतूल के 7 मजदूरों को रेस्क्यू करके वापस लाया गया है. बैतूल वापस आए मजदूरों ने बताया कि गुजरात का एक ठेकेदार उन्हें ये कहकर अपने साथ ले गया था कि उन्हें केक बनाने वाली कम्पनी में नौकरी करना है, लेकिन कच्छ ले जाकर उन्हें धोखे से एक खाद्य तेल बनाने वाली कम्पनी में लगा दिया गया. 


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कम्पनी में रोजाना मजदूरों से 10 से 12 घंटे तक काम करवाया जाता था. गर्म तेल और केमिकलों से मजदूरों को चर्मरोग होने लगे थे, लेकिन उनका इलाज भी नहीं करवाया जाता था. कई बार मजदूरों को खाना खाने तक की रियायत नहीं दी जाती थी. इतना ही नहीं हर मजदूर को 18 हजार प्रतिमाह तनख्वाह का वादा करके उन्हें केवल 4 से 5 हजार वेतन दिया जा रहा था. जब मजदूरों ने वापस लौटने की बात कही तो उनके साथ गाली गलौज और मारपीट की जाने लगी. 


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ठेकेदार पर केस दर्ज
इसी बीच एक मजदूर कम्पनी से भागकर वापस बैतूल आया और एक एनजीओ की मदद से पुलिस प्रशासन को आपबीती सुनाई. बैतूल कलेक्टर और एसपी ने एक टीम बनाकर गुजरात भेजी और वहां से सभी 7 मजदूरों को रेस्क्यू कर वापस बैतूल लाया गया है. मजदूरों को गुजरात ले जाने वाले ठेकेदार जितेंद्र भाई को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. उसके खिलाफ मानव तस्करी का मामला दर्ज किया जा रहा है. अन्य राज्यों से निजी कंपनियां जनजातीय बाहुल्य इलाकों से मजदूरों को तरह तरह के प्रलोभन देकर ले जाती हैं और बाद में उन्हें बंधुआ बनाकर उनसे मनमाना काम लिया जाता है.


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टाइम पर न खाना देते न मजदूरी
NGO ने बताया कि एजेंट जितेंद्र कुमरे 24 मई 2024 को इन मजदूरों को 18 हजार प्रति माह की मजदूरी पर अच्छे काम का वादा करके गुजरात ले गया था. जितेंद्र ने मजदूरों को काम पसंद न आने पर घर लौटने का भरोसा भी दिया था. बाद में गुजरात गए इन मजदूरों के साथ वहां मारपीट और बदसलूकी होने लगी. टाइम पर मजदूरी नहीं दी गई. बंधक की तरह रखा जाता था. मोबाइल भी छीन लिए गए थे. किसी तरह दूसरे के मोबाइल से परिजनों को संपर्क कर मजदूरों ने अपनी स्थिति के बारे में बताया. कलेक्टर तक बात संस्था के जरिए पहुंची.