खंडवा: मध्य प्रदेश के खंडवा में ग्रामीण क्षेत्र में कुपोषण को दूर करने के लिए बालिकाओं, गर्भवती माताओं और छोटे बच्चों को दिए जाने वाला पोषण आहार एक नाले में पड़ा मिला. तहसील मुख्यालय से थोड़ी सी दूर एक गांव के बाहर नाले में लगभग 16 बैग पोषण आहार मिलने से सरकार की कुपोषण को दूर करने वाली योजनाओं को पलीता लगता दिखाई दे रहा है. यह पोषण आहार किसने फेंका और कौन इसके लिए जिम्मेदार है यह जांच का विषय है. अधिकारी अब जिम्मेदारों का पता लगा रहे हैं.


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खंडवा के आदिवासी बहुल क्षेत्र खालवा से केवल 3 किलोमीटर दूर गौरी खेडा गांव के नाले में यह पोषण आहार के बैग पड़े दिखे, तो खेत मालिक ने विभाग को सूचना दी. एक बैग में 25 पैकेट हैं, जो बालिका, गर्भवती महिलाओं और बच्चों को दिया जाता है. ये कहां से आए और किसने फेंका, इसको लेकर विभाग ने पंचनामा बनाया है.


 



खंडवा जिले की खालवा तहसील आदिवासी बहुल है और यह तहसील कुपोषण के लिए पूरे देश में बदनाम रही है. कुपोषण को मिटाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार के साथ-साथ यूनीसेफ ने भी यहां पर कई कार्यक्रम चलाए हैं. यह योजनाएं महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित की जाती हैं. इन्हीं योजनाओं के अंतर्गत बालिकाओं, गर्भवती माताओं और छोटे बच्चों को पूरक पोषण आहार के तहत कैलोरी से भरपूर हलवा, खिचड़ी और इसी तरह का पोषण आहार वितरित किया जाता है. यह पोषण आहार आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं के द्वारा ग्रामीणों में वितरित होना था. गांव के बाहर नाले में पड़ा होने से योजनाओं के क्रियान्वयन पर प्रश्न चिन्ह लगता है.


ब्लॉक परियोजना अधिकारी हिमांगी राठौर का कहना है कि सरकार की मंशा तो कुपोषण को मिटाने की है, लेकिन फील्ड में काम करने वाले अधिकारी, कर्मचारी और कार्यकर्ता कुपोषण को मिटाने में कितने मुस्तैद हैं. यह घटना इसकी पोल खोलने के लिए पर्याप्त है. फिलहाल ब्लॉक स्तर पर काम करने वाली फील्ड अफसर ने पंचनामा बनाकर मामला दर्ज किया है.


वहीं, खंडवा के एडीएम राजेश जैन का कहना है कि अधिकारियों को भी यह योजना कैसी चल रही है और इसमें कितनी लापरवाही है, इसकी जानकारी भी मीडिया के द्वारा ही मिली. उन्होंने मामले की जांच कराने की बात कही है. वहीं, सवाल ये उठता है कि ऐसे ही अगर बच्चों को मिलने वाला पोषण आहार नाले में फेंका जायगा, तो कैसे पोषित होंगे बच्चे और कैसे मिटेगा कुपोषण.