जय विलास पैलेस के 5 अनसुने रहस्य, क्यों सिंधिया के महल की भव्यता देख हैरान रह जाते हैं लोग
5 untold secrets of Jai Vilas Palace: ग्वालियर का जयविलास पैलेस भारत के सबसे खूबसूरत और सबसे महंगी इमारतों में शुमार है. यह सिंधिया राजवंश के वंशज और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का घर भी है. इस महल की भव्यता इतनी है कि यहां आने वाला हर कोई इसकी खूबसूरती और विशालता देखकर हैरान जाता है. 19वीं शताब्दी में बना यह महल कई रहस्यों से भरा हुआ है. कई ऐसे फैक्ट हैं, जो काफी रोचक हैं.
150 साल पुराना
जय विलास पैलेस 19वीं सदी का एक महल है. इसे 1874 में ब्रिटिश राज में ग्वालियर के महाराजा जयाजीराव सिंधिया ने बनवाया था. महल का बड़ा हिस्सा अब "जीवाजीराव सिंधिया संग्रहालय" है, जिसे 1964 में जनता के लिए खोल दिया गया था. इसका एक हिस्सा अभी भी सिंधिया के कुछ वंशजों का निवास स्थान है. खास बात यह है कि 150 साल पुराने महल में आज भी सिंधिया परिवार रहता है.
प्रिंस ऑफ वेल्स का स्वागत
इस भव्य महल का निर्माण महाराजा के लिए निवास के रूप में किया गया था. 20 दिसंबर 1905 में पैलेस में ही तत्कालीन प्रिंस ऑफ वेल्स किंग एडवर्ड सप्तम और क्वीन मैरी के भारत दौरे के दौरान ग्वालियर आने पर उनका भव्य स्वागत किया गया था. जय विलास पैलेस तीन स्थापत्य शैलियों का मिश्रण है. महल की पहली मंजिल टस्कन शैली, दूसरी मंदिल इटालियन शैली और एक तीसरी मंजिल कोरिंथियन शैली में डिजाइन किया गया है.
महल का खास डिजाइन
जय विलास पैलेस बलुआ पत्थर से बना है. चमकीले सफेद रंग से रंगे तीन मंजिला महल को लेफ्टिनेंट कर्नल सर माइकल फिलोज ने डिजाइन किया था. ग्वालियर में उन्हें प्यार से मुखेल साहब के नाम से जाना जाता था. मुखेल साहब ने ही ग्वालियर की अन्य खूबसूरत इमारतों जैसे सेंट्रल जेल, मोती महल और हाई कोर्ट को डिजाइन किया है. भारत के अन्य महलों से अलग जय विलास में इंडो-अरबी विशेषताएं बहुत कम हैं. न ही इसमें बहुत ज्यादा क्षेत्रीय शैली की झलक देखने को मिलती है.
60 साल पहले बना म्यूजियम
12 दिसंबर 1964 को राजमाता विजया राजे सिंधिया ने अपने पति जीवाजी राव सिंधिया की याद में महल के पश्चिम और दक्षिण विंग को एक म्यूजियम बना दिया. म्यूजियम का उद्घाटन भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकिशनन ने किया था. पिछले कुछ वर्षों में महल के पश्चिमी विंग के कुछ हिस्सों को भी संग्रहालय में जोड़ा गया है. म्यूजियम में कला, संस्कृति और मराठा इतिहास और ग्वालियर के सिंधिया राजवंश की जीवन शैली की झलक देख सकते हैं.
चांदी की ट्रेन- 3500 किलो का झूमर
1240771 वर्ग फीट में जय विलास पैलेस का निर्माण किया गया है. महल में कुल 400 कमरें हैं. आज के समय में महल की कीमत कुल 400 करोड़ रुपये तक आंकी जाती है. हालांकि, असल कीमत इससे कहीं और ज्याद हो सकती है. महल में एक झूमर तो 3500 किग्रा तक का है, जिसे लटकाने के लिए पहले 30 हाथियों को छत पर चढ़ाकर छत की मजबूती चेक की गई थी. महल की शादी डायनिंग टेबल एक चांदी की ट्रेन भी चलती है, जो सालों से दुनिया के लिए आकर्षण का केंद्र रही है.