Dhanteras 2023: इस कुबेर मंदिर के मिट्टी में है खजाना
भारत में दिवाली का त्यौहार 5 दिनों तक मनाया जाता है, इसकी शुरूआत धनतेरस के दिन से हो जाती है. धनतेरस के दिन लोग बर्तन और गहने आदि बहुत सारी चीजें खरीदतें हैं. माता लक्ष्मी और धन कुबेर की पूजा की जाती है.
Dhanteras 2023
भारत में दिवाली का त्यौहार 5 दिनों तक मनाया जाता है, इसकी शुरूआत धनतेरस के दिन से हो जाती है. धनतेरस के दिन लोग बर्तन और गहने आदि बहुत सारी चीजें खरीदतें हैं. माता लक्ष्मी और धन कुबेर की पूजा की जाती है.
मंदिरें
भारत में देवी देवताओं की तमाम मंदिरें हैं और उनसे जुड़ी मान्यताएं भी, ऐसे ही एक मंदिर है भगवान कुबेर की जहां की दिवाली को लेकर कुछ मान्यता भी है. कहा जाता है कि इस मंदिर में देश विदेश से लोग आते हैं.
कुबेर की सबसे प्राचीन मंदिर
दिवाली के पांचों दिन माता लक्ष्मी के साथ भगवान कुबेर की पूजा की जाती है, भारत में भगवान कुबेर की सबसे प्राचीन मंदिर उत्तराखंड़ में स्थित है. यह देश का छठा कुबेर मंदिर है. यहां एकमुख शिवलिंग में कुबेर भगवान विराजमान हैं.
जागेश्वर धाम
उत्तराखंड से 40 किलोमीटर की दूरी पर जागेश्वर धाम नामक स्थान है. इस धाम में एक कुबेर मंदिर भी है. इस पवित्र मंदिर में स्थानीय लोग हर दिन पूजा-पाठ करते हैं. लेकिन धनतेरस और दिवाली के दिन यहां भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है.
मंदिर का इतिहास
इस कुबेर मंदिर के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण 7वीं शताब्दी से लेकर 14वीं शताब्दी के बीच कत्यूरी राजवंश ने कराया था. वहीं कुछ लोग मनाते हैं कि इसका निर्माण 7वीं शताब्दी में किया गया था
मान्यता
इस मंदिर की मान्यता है जिन लोगों का कारोबार ठीक ढंग से नहीं चल रहा होता वो इस मंदिर में आकर माथा टेके तो सब समस्या ठीक हो जाती है.
गर्भगृह की मिट्टी
इस मंदिर में एक और मान्यता है कि इस मंदिर के गर्भगृह की मिट्टी ले जाकर तिजोरी में रखने से कभी भी धन की कमी नहीं होती. इसलिए खासकर दिवाली के दिन लोग बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं.