औघड़ बाबा के कपाल में जलती है ज्योत, छत्तीसगढ़ में है काली मां का रहस्यमयी मंदिर
Mysterious Temple: छत्तीसगढ़ में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, जो अपने रहस्य के लिए देशभर में विख्यात हैं. इन मंदिरों से जुड़े रहस्यों को आज भी तलाशा जा रहा है. आज हम आपको एक ऐसे ही एक रहस्यमयी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. यहां के लोग देवी को जागृत मानते हैं. इस मंदिर में कई चमत्कारी घटनाएं भी घटी हैं. बताया जा रहा है कि इस मंदिर में आज भी एक अघोरी देवी की सेवा करता है.
श्मशान की देवी
धार्मिक ग्रंथों में मां काली को श्मशान की देवी माना गया है. इसीलिए उनकी पूजा भी नहीं की जाती. इनकी पूजा अधिकतर तांत्रिक और अघोरी लोग करते हैं.
काली मंदिर
ऐसा ही एक काली मंदिर रायपुर के राजेंद्र नगर मेन रोड में भी स्थित है. जहां मंदिर के बगल में श्मशान घाट है. श्मशान घाट के अंदर बाबा भैरव का मंदिर भी है.
जागृत काली मां
लोगों का कहना है कि यह मंदिर जागृत काली मां का मंदिर है. मंदिर के प्रांगण में साईं बाबा, हनुमान जी, शनि देव और शिव जी के छोटे-छोटे मंदिर बने हुए हैं.
अखंड ज्योति
लगभग 60 वर्षों से मंदिर के सामने एक कांच के बक्से के अंदर एक कपाल रखा हुआ है, जिसके शीर्ष पर एक अखंड ज्योति जल रही है. कहा जाता है कि एक अघोरी मरने के बाद भी माता की सेवा करता है.
ज्योति की देखरेख
इस ज्योति की देखरेख मंदिर के पंडित और यहां काम करने वाले भक्त कर रहे हैं. जिसे देखने और पूजा करने के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है.
देवी काली की पूजा
बताया जा रहा है कि यह कपाल अघोरी आशा गिरी महाराज की है, जिन्होंने अपना पूरा जीवन देवी काली की पूजा में बिताई है. इन बाबा को औघड़ बाबा के नाम से जाना जाता था.
आशा गिरी महाराज
मंदिर के पुजारी के अनुसार बाबा आशा गिरी महाराज इस मंदिर के महंत थे. उन्होंने करीब 10 से 15 साल तक इस मंदिर में सेवा की और यही उनकी इच्छा थी. कि उनकी मृत्यु के बाद उनकी खोपड़ी निकाल ली जाए और उस पर माता की ज्योत जला दी जाए.
दशहरे के दिन होता है यहां मुंडन
इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि जिन लोगों के संतान नहीं होती है, अगर वे इस मंदिर में पूजा करके मन्नत मांगते हैं तो उनकी मन्नत पूरी हो जाती है. इसके साथ ही लोग भैरव बाबा को वड़ा और जलेबी का भोग लगाकर भी मन्नत मांगते हैं. मन्नत पूरी होने पर दशहरे के दिन यहां आकर बच्चे का मुंडन कराना होता है.
रहस्यमयी मंदिर
रहस्यों से भरे इस मंदिर के बारे में मंदिर के पुजारी ने एक और दिलचस्प बात बताई. उन्होंने कहा कि पास के अस्पताल से एक छोटे बच्चे को दफनाने के लिए श्मशान घाट लाया गया था. इस दौरान हवन चल रहा था. जैसे ही बच्चे को जमीन के अंदर रखा गया तो वह बच्चा जोर-जोर से रोने लगा.