मोक्ष के लिए भी इंतजार: अपनों ने छोड़ा साथ, वर्षों से लॉकर में बंद पड़ी अस्थियां
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले से भी कुछ ऐसा ही सामने आया है. जहां श्मशान पर कोरोना से मृत लोगों की अस्थियों का ढेर लगा है, पर उनके परिजन उसे लेने तक नहीं आ रहे हैं. मृतकों की अस्थियां मुक्तिधाम के अश्थि कक्ष में रखी हैं और उनका विसर्जन तक नहीं हो पा रहा है.
हितेश शर्मा/दुर्ग: कोरोना संक्रमण ने सभी को बहुत कुछ सिखा दिया है. संकट में कई पराये अपने बन मदद के लिए खड़े हुए, तो कई ऐसे भी हैं जिनके अपनों ने ही उनका साथ छोड़ दिया.छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले से भी कुछ ऐसा ही सामने आया है. जहां श्मशान पर कोरोना से मृत लोगों की अस्थियों का ढेर लगा है, पर उनके परिजन उसे लेने तक नहीं आ रहे हैं. मृतकों की अस्थियां मुक्तिधाम के अश्थि कक्ष में रखी हैं और उनका विसर्जन तक नहीं हो पा रहा है.
हालांकि बताया ये भी जा रहा है कि कोरोना काल से पहले भी कई लोगों की अस्थियां यहां रखी रही हैं. ये मामला है ट्विनसिटी भिलाई के रामनार का. जहां 2004 से लेकर 2016 तक की अस्थियों को अस्थि कक्ष में बाकायदा कलश में सहेज कर रखा गया है.
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कोरोना काल में कम पड़ने लगी जगह
पिछले 17 सालों से यहां 29 अस्थियां मोक्ष का इंतजार कर रही हैं. सालों से मुक्तिधाम की आलमारी में रखी इन अस्थियों को लेकर तब दिक्कतें शुरू हुई, जब कोरीना की वजह से रोजाना दर्जनों लोगों की मौत हो रही थी. कोरोना से मृत लोगों की अस्थियों को रखने के लिए जब जगह कम पड़ने लगी तो मुक्तिधाम प्रभारी ने सालों से रखी अस्थियों को अलग से चिन्हित किया. सभी अस्थियों को एक-एक थैले रखकर एक तरफ रखा गया है.
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मुक्तिधाम के संचालक ने निगम को नोटशीट तैयार कर भेज दिया है. मुक्तिधाम के प्रभारी कृष्णा देशमुख ने बताया कि अस्थि कक्ष में सालों से जिन अस्थियों को रखा गया है, उनमें तारीख भी हैं. वहीं 14 अस्थियों के कलश ऐसे हैं जिनपर मरने वाले का नाम भी नहीं लिखा हुआ है. ऐसे में परिजनों से संपर्क कर पाना मुश्किल हो रहा है. वह 2008 से मुक्तिधाम का कार्यभार संभाले हैं. उसके बाद से लेकर परिजन ही अस्थिय लेने नहीं आए.
मुक्तिधाम प्रभारी ने बताया कि पिछले साल से अस्थियों के विसर्जन को लेकर बातचीत चल रही है. लेकिन अब तक किसी तरह का निष्कर्ष नहीं निकला है. निगम ने हमसे एक बार फिर अस्थियों के संबंध में जानकारी मांगी है. जिसपर हमने नोटशीट तैयारी कर भेज दिया है. अब निगम के उच्च अधिकारी ही इस मामले का निपटारा कर सकते है.
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