रिटायर्ड लेक्चरर का हौसलाः पटरियों के पास शुरू हुई गरीब बच्चों की क्लास अब 5 सेंटर्स, 2000 बच्चों तक पहुंची
मिडल क्लास या हाई क्लास लोगों के बच्चे तो ऑनलाइन क्लासेस अटेंड कर रहे हैं, लेकिन गरीब बच्चे पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं. ऐसे बच्चों के लिए ग्वालियर के रिटायर्ड लेक्चरर ओपी दीक्षित ने रास्ता निकाला है.वह खुद सड़क किनारे झुग्गियों में रहने वाले बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं.
ग्वालियर: कोरोना संक्रमण के चलते पिछले लगभग 9 महीने से बच्चों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ा है.मिडल क्लास या हाई क्लास लोगों के बच्चे तो ऑनलाइन क्लासेस अटेंड कर रहे हैं, लेकिन गरीब बच्चे पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं. ऐसे बच्चों के लिए ग्वालियर के रिटायर्ड लेक्चरर ओपी दीक्षित ने रास्ता निकाला है.वह खुद सड़क किनारे झुग्गियों में रहने वाले बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं. सबसे पहले उन्होंने अपने घर के पास रेलवे ट्रैक पर काम करने वाले मजदूरों के बच्चों को पढ़ाना शुरू किया.
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बच्चों की शिक्षा के लिए आगे आए और भी लोग
फिर दीक्षित को कुछ और लोगों का साथ मिला और वर्तमान में वह शहर में पांच सेंटर संचालित कर रहे हैं. इन 5 सेंटर्स में लगभग दो हजार के लगभग बच्चे पढ़ रहे हैं. ये लोग मिलकर ना केवल बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रहे हैं, बल्कि समाजसेवियों की मदद से बच्चों के लिए कॉपी-किताब और गर्म कपड़ों का इंतजाम भी करने में जुटे हुए हैं. ओपी दीक्षित पिछले वर्ष दिसंबर में रिटायर हुए थे. कोविड काल में वह सुबह घूमने निकलते थे. इस दौरान उनकी नजर रेल पटरियों के किनारे बसी झुग्गी झोपड़ियों पर पड़ी.
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वहां कुछ बच्चे खेल रहे थे, जब उन्होंने जाकर उनके माता-पिता से इनकी पढ़ाई के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि अभी यह लोग पढ़ाई नहीं कर रहे हैं. ओपी दीक्षित बताते हैं कि उन्होंने रेलवे से परमिशन लेकर इन बच्चों की पढ़ाई-लिखाई शुरू कर दी. बस्ती में रहने वाले मजदूरों का नीडम पर काम खत्म हो गया और उन्होंने अपनी झुग्गियां बिरला नगर शिफ्ट कर ली. जिसके बाद उन्हें लगा कि जिन बच्चों को 3 महीने से पढ़ा रहे थे, एक बार फिर वे शिक्षा से वंचित हो जाएंगे. ऐसे में उन्होंने बिरला नगर स्टेशन के पास ही बच्चों को पढ़ाने का निर्णय लिया.
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वह सुबह के समय विवेकानंद निगम और शाम के समय बिरला नगर स्टेशन के पास झुग्गियों में रह रहे बच्चों को पढ़ाने लगे. इसी दौरान उनकी मुलाकात कुछ अन्य लोगों से हुई, जिन्होंने उनके इस मुहिम में हाथ बटाने की इच्छा जाहिर की. इतना ही नहीं जब इसकी जानकारी निजी B.Ed कॉलेज प्रबन्धन को लगी, तो उन्होंने अपने स्टूडेंट्स को इन बच्चों के अध्यापन कार्य में लगा दिया. अब कुछ समाजसेवी की मदद से शहर के बाहर भी सेंटर संचालक करने पर विचार किया जा रहा है.
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