भोपाल: मध्य प्रदेश की सियासत में बड़ा मुद्दा रहे अतिथि विद्वानों को लेकर बड़ी खबर है. हटाए गए सभी 1800 अतिथि विद्वानों को शिवराज सरकार वापसी का मौका देने जा रही है. 1800 फालेन आउट अतिथि विद्वानों में से करीब 975 रिक्त पदों पर पुनः अध्यापन शुरू कर सकेंगे. अतिथि विद्वानों के लिए 2020-21 में पढ़ाने के लिए कैलेंडर भी जारी कर दिया गया है. 


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पीएससी चयनित असिटेंट प्रोफेसर की भर्ती और ज्वॉइनिंग के कारण फालेन आउट हुए अतिथि विद्वानों को 20 अगस्त से शुरू हो रही प्रक्रिया में दोबारा आवेदन करने के लिए कहा गया है. उच्च शिक्षा विभाग की ओर से जारी कैलेंडर के मुताबिक अतिथि विद्वानों को 22 अगस्त तक पुनः योग्यता अपडेट करानी होगी. 24 अगस्त से 30 अगस्त तक कॉलेजों में रिक्त स्थानों पर विकल्प भरने का अवसर मिलेगा. जिसके बाद 1 सितंबर को मेरिट के आधार पर कॉलेजों का आवंटन होगा. अतिथि विद्वान फिर 2 सितंबर से 10 सितंबर के बीच कॉलेजों में ज्वॉनिंग करेंगे.


विपक्ष में रहते हुए ही BJP ने भुना लिया था मुद्दा
कमलनाथ सरकार में ये 1800 अतिथि विद्वान व्यवस्था से बाहर हो गए थे. जिसके बाद 126 दिनों तक अतिथि विद्वान भोपाल के शाहजहानी पार्क में धरने पर थे. इस दौरान विपक्ष में रही बीजेपी ने भी इसे मुद्दे को भुनाते हुए अतिथि विद्वानों का समर्थन किया था. बीजेपी ने तत्कालीन कमलनाथ सरकार से अतिथि विद्वानों को वापस लेने की मांग करते हुए इस मुद्दे को सदन में भी उठाया था. जिसके बाद अब शिवराज सरकार ने पचास प्रतिशित से कुछ ज्यादा फालेन आउट अतिथि विद्वानों को वापस लेने का फैसला किया है.


जारी रहेगा अतिथि विद्वानों का आंदोलन
वहीं, अतिथि विद्वान संघ के प्रदेशध्यक्ष डॉ देवराज ने इस फैसले का स्वागत किया है, लेकिन उन्होंने याद दिलाया कि अतिथि विद्वानों का आंदोलन नियमितीकरण के लिए था, जो जारी रहेगा. डॉ देवराज ने कहा हमारे कई साथियों ने आर्थिक हालात खराब होने की वजह से आत्महत्या तक कर ली थी.


वहीं, कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने ट्वीट कर कहा कि, ''शिवराज जी च्वॉइस फिलिंग तो कमलनाथ सरकार की नीति थी लेकिन टाइगर जिंदा है तो अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण कीजिये ,कुणाल चौधरी ने कहा उपचुनाव के बाद अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण तय है.''


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