नई दिल्ली. मंगलवार को मध्य प्रदेश के सीधी जिले (Sidhi Bus Accident) में यात्रियों से भरी बस के बाणसागर नहर में गिरने से अब तक 51 लोगों की मौत हो चुकी है. बस में करीब 60 लोग सवार थे. इनमें 7 को सुरक्षित बचाया जा चुका है. जबकि अन्य का रेस्क्यू दूसरे दिन भी किया जा रहा है. बस सीधी से सतना के लिए जा रही थी. अब तक की जानकारी के मुताबिक बस में कई छात्र सवार थे, जो आरआरबी एनटीपीसी की परीक्षा देने जा रहे थे. मुख्य हाइवे पर जाम होने की वजह से परीक्षा सेंटर पर छात्रों को पहुंचने में देर हो जाती, इसलिए ड्रॉइवर दूसरे रास्ते से बस लेकर जा रहा था. इसी दौरान बस बाणसागर नहर में गिर गई.


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Sidhi Bus Accident: हादसे में अब तक 49 यात्रियों की मौत, 7 सुरक्षित बचे, रेस्क्यू जारी


इस हादसे ने बस से यात्रा करने वाले यात्रियों की सुरक्षा को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है. बताया जाता है कि जो बस हादसे की शिकार हुई है उसमें 32 लोगों की जगह नियमों को ताक पर रखकर करीब 60 लोगों को बैठाया गया था. ऐसे में मध्य प्रदेश परिवहन विभाग सहित अन्य जिम्मेदारों पर सवाल उठता है कि क्या वे बसों की चेकिंग नहीं करते? क्या बसों का फिटनेट टेस्ट नियमित तौर पर किया जाता है? अगर होता है तो बस में यात्रियों को क्षमता से ज्यादा क्यों बैठाया गया? क्या बस चालकों में सरकार और परिवहन विभाग को लेकर डर नहीं है? इस हादसे को लेकर ऐसे कई सवाल लोगों के जहन में हैं, जिससे शिवराज सरकार पर भी सवाल उठ रहे हैं. तो आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ सवालों के बारे में....


1- पहला सवाल ये है कि मध्य प्रदेश सरकार ने 32 सीटर बसों को अधिकतम 75 किमी के रूट का परमिट देने का नियम बनाया है. सीधी में हादसे का शिकार हुई बस भी इसी क्षमता की थी, लेकिन वह सीधी से सतना के बीच 138 किमी का सफर तय कर रही थी. नियम के खिलाफ जाकर बस को ये परमिट किसने दिया? 
2- दूसरा सवाल यह है कि 32 सीटर वाली बस में 60 लोगों ठूस दिया गया है. क्या रास्ते में परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बस की जांच नहीं की? या बस मालिक की तरफ से महीने का खर्च दिए जाने की वजह से परिवहन विभाग के अधिकारियों ने जांच करने की जहमत नहीं जुटाई? क्योंकि ओवर लोडिंग मिलने पर परिवहन विभाग के अफसरों के खिलाफ FIR दर्ज कर कार्रवाई के आदेश हैं. ऐसें में सवाल उठता है कि ओवर लोडिंग की अनदेखी किसने की?


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बसों को लेकर मध्य प्रदेश में 2019 में बने थे नियम
मध्यप्रदेश में दो साल पहले 3 अक्टूबर 2019 को इंदौर से छतरपुर जा रही बस रायसेन में अनियंत्रित होकर रीछन नदी में गिर गई थी. इस हादसे में 6 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 19 लोग घायल हो गए थे. उस वक्त परिवहन मंत्री गोविंद सिंह ने नया नियम बनाया था. जिसमें कहा गया था कि 32 सीटर बस को 75 किलोमीटर से ज्यादा दूरी का परमिट नहीं दिया जाएगा. 


2015 में दिया गया था बसों के फिटनेस टेस्ट का आदेश
पन्ना में 2015 में बस हादसा हुआ था, तब राज्य के तत्कालीन परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने परिवहन अधिकारियों को बसों का फिटनेस टेस्ट करने का आदेश दिया था. इस दौरान उन्होंने सड़क पर दौड़ती बसों में तय नियमों का पालन कराने की जिम्मेदारी परिवहन अधिकारियों को सौंपी थी. ऐसा न होने पर उनके खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश हैं. 


नियम बनने के बाद परिवहन मंत्री गोविंद सिंह ने शुरुआत में भोपाल में स्कूल बसों का निरीक्षण जरूर किया, लेकिन इसके बाद वे प्रदेश में कब और जिस जिले में निरीक्षण करने गए, इसकी कोई जानकारी नहीं है. सरकार की तरफ से हर हादसे के बाद नियम बनाते गए और पालन नहीं किया गया.


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