सुकमा (छत्तीगसगढ़)। कौन जानता था कि सुकमा के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सड़क का उद्घाटन समारोह एक भयानक खूनी मंजर में बदल जाएगा और 25 जवानों को अपनी जान देकर इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी.


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लेकिन इस हादसे में एक चौंका देने वाली बात सामने आई है जिसमें एक खूबसूरत रिश्ता छल में बदल गया. आपको बता दें कि सीआरपीएफ के जवानों को नक्सलियों ने धोखे से मारा और इसके लिए उन्होंने गांववालों का सहारा लिया था.


बुरकापाल के ग्रामीण और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल का दोस्ताना रिश्ता एक बार किसी ने साझा किया था.


गांववाले न सिर्फ सुरक्षाबलों की सहायता करते हैं, बल्कि माओवादी के गढ़ बस्तर और उसके आसपास चल रही नक्सली गतिविधियों की सूचना भी देते हैं.


74वीं सीआरपीएफ बटालियन और बुरकापाल गांव एक-दूसरे के साथ आत्मीयता से जुड़े थे और इनके बीच का संबंध बहुत ही अच्छे थे.


लेकिन आत्मीय संबंध कैसे अचानक से एक कड़वाहट में बदल गई इसी पर एएनआई एजंसी ने जमीनी तहकीकात (ग्राउंड रिसर्च) की और साथ ही सीआरपीएफ के जवानों से भी बात की.


घटनास्थल पर सभी ग्रामीण एकसाथ बैठे हुए थे. एक सीआरपीएफ जवान से पूछने पर पता चला कि उसे सूचित किया गया था कि हमले के बाद लोग गांव छोड़कर चले गए थे और अब वे वापस लौट रहे थे.


बताया गया कि दो महीने पहले सबकुछ उस दौरान बदला जब गांव की मुखिया माधवी को नक्सलियों ने मार दिया था. माधवी सीआरपीएफ की मददगार थी और उनके लिए इनफॉर्मर का काम करती थी. लेकिन उसकी (माधवी की) मौत के बाद गांववालों ने सीआरपीएफ कैंप जाना तक छोड़ दिया और जवानों से दूरी बना ली.


सीआरपीएफ अधिकारी डीपी उपाध्याय ने एएनआई को बताया, 'हमले के दिन (सोमवार, 24 अप्रैल) गांव की तरफ से भी फायरिंग हुई, नक्सलियों ने 'यू' आकार में घात (घेराबंदी) लगाया था. जिसका एक छोर बुरकापाल गांव भी था. सीधेसादे गांववालों को नक्सलियों ने ढाल की तरह इस्तेमाल किया. निश्चित तौर पर गांववालों को ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया था.'
   
एक अन्य ग्रामीण गोगी ने बताया गांव छोड़ने के बाद उनलोगों ने फायरिंग की आवाज सुनी. वह भी गांव के प्रमुख माधवी के हत्या की सूचना से अवगत था.


इस हमले में कुछ नक्सलियों के मारे जाने की भी बात कही गई है.


नक्सली हमले में 25 जवानों की मौत
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में सोमवार (24 अप्रैल) को नक्सलियों ने पुलिस दल पर घात लगाकर हमला कर दिया. इस घटना में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 25 जवानों की मौत हो गयी तथा छह जवान घायल हो गए.


राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने यहां बताया कि सुकमा जिले के चिंतागुफा थाना क्षेत्र के अंतर्गत बुरकापाल गांव के करीब नक्सलियों ने पुलिस दल पर घात लगाकर हमला किया. इस हमले में सीआरपीएफ के 25 जवानों की मौत हो गयी तथा छह जवान घायल हो गए.


जवानों को सड़क की सुरक्षा के लिए रवाना किया गया था
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि चिंतागुफा थाना क्षेत्र में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 74वीं बटालियन की दो कंपनियों को सोमवार को बुरकापाल से चिंतागुफा के मध्य बन रही सड़क की सुरक्षा के लिए रवाना किया गया था. 


दल जब बुरकापाल से लगभग डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर था तब नक्सलियों ने पुलिस दल पर गोलीबारी शुरू कर दी. इस घटना में सीआरपीएफ के 25 जवानों की मौत हो गयी तथा छह जवान घायल हो गए. इसके बाद पुलिस दल ने भी जवाबी कार्रवाई की.


तीन सौ नक्सलियों ने किया हमला
रायपुर लाए गए घायल जवान शेर मोहम्मद ने संवाददाताओं को बताया कि वह जब सड़क की सुरक्षा में थे तब लगभग तीन सौ नक्सलियों ने अचानक पुलिस दल पर गोलीबारी शुरू कर दी जिनमें महिला नक्सली भी शामिल थीं. इसके बाद पुलिस दल ने भी जवाबी कार्रवाई की. 


आधुनिक हथियारों से लैस थे नक्सली
नक्सली आधुनिक हथियारों से लैस थे. घायल जवान ने बताया कि सुरक्षा बल के जवानों ने नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब दिया. जवान ने दावा है किया कि इस मुठभेड़ के दौरान लगभग एक दर्जन नक्सली भी मारे गए हैं.


दोनों ओर से तीन घंटे हुई गोलीबारी
राज्य के पुलिस महानिदेशक एएन उपाध्याय ने बताया कि सुबह जवानों को गश्त के लिए रवाना किया गया था. दल में लगभग एक सौ जवान थे. दल जब 12 बजे बुरकापाल के करीब था तब नक्सलियों ने पुलिस दल पर गोलीबारी शुरू कर दी जिसके बाद सुरक्षा बल के जवानों ने भी कार्रवाई की. दोनों ओर से लगभग तीन घंटे तक गोलीबारी हुई.


11 मार्च को हमले में गई थी 12 जवानों की जान
गौरतलब है कि इस वर्ष 11 मार्च को नक्सलियों ने सुकमा जिले में ही पुलिस दल पर घात लगाकर हमला कर दिया था. इस हमले में सीआरपीएफ के 12 जवान शहीद हो गए थे तथा तीन अन्य घायल हुए थे.