Aditya-L1 Sun Mission: चांद पर कदम रखने के बाद अब भारत ने सूरज के करीब पहुंचने का सफर शुरू कर दिया है. इसके लिए इसरो ने सुबह 11.50 बजे PSLV-C57 के XL वर्जन रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा सूर्य मिशन आदित्य-L1 लॉन्च किया है. आदित्य L1 सूर्य की स्टडी करने के लिए धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर पहुंचेगा. इसमें उसे करीब 4 महीने का वक्त लगेगा. आइए जानते हैं इसरो ने 15 लाख किलोमीटर की दूरी ही क्यों तय की क्या है इसका राज और कैसे मिशन ग्रहण से आजाद रहने वाला है.


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15 लाख किलोमीटर की दूरी क्यों?
पृथ्वी से सूर्य की दूरी लगभग 14 करोड़ 96 लाख किलोमीटर या 9 करोड़ 29 लाख 60 हजार मील है. हालांकि, आदित्य L1 15 लाख किलोमीटर की दूरी तक ही जाएगा. आदित्य को जिस L1 प्वाइंट पर पहुंचना है वो सूर्य से 14 करोड़ 85 लाख किमी की दूरी पर है. इसके पीछे कई कारण हैं.


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- L-1 प्वाइंट यानी लैरेंज प्वाइंट एक ऐसी दूरी है जहां ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता. ऐसे में आदित्य को सूरज पर काम करने में आसानी होगी.
- इस प्वाइंट पर पृथ्वी और सूर्य का गुरुत्वाकर्षण एक दूसरे को लगभग खत्म कर देते हैं. ऐसे में आदित्य कम ऊर्चा में ज्यादा काम कर सकेगा.


क्या काम करेगा आदित्य?
इसरो का मिशन आदित्य सूर्य पर पड़े पर्दों को उठाने की कोशिश करेगा. वो L-1 प्वाइंट पर निर्बाध रूप से लगातार सूर्य की मॉनीटरिंग करके इसरो को सारी जानकारी देगा. इसमें ऑर्बिट का तापमान, सौर तूफान, सूर्य की प्रकाश किरणें आदि शामिल होंगी. इसके अलावा भी  L1 पॉइंट पर वायुमंडल, क्रोमोस्फियर, और कोरोना के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने में आदित्य वैत्रानिकों की मदद करेगा.


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बड़ी कामयाबी
बता दें Aditya-L1 Sun Mission को L1 पॉइंट तक पहुंचने में करीब 125 दिन यानी 4 महीने लगेंगे. इसके अनुसार, 3 जनवरी 2024 को अपने नियत स्थान तक पहुंच जाएगा. मिशन सफल रहा और आदित्य स्पेसक्राफ्ट लैग्रेंजियन पॉइंट 1 पर पहुंचा तो इसरो और भारत के खाते में ये एक बड़ी कामयाबी होगी.


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