बैतूल: स्वास्थ्य विभाग के फ्रंटलाइन वर्कर्स किसी की जान बचाने के लिए कितने जतन करते हैं, इसका ताजा उदाहरण बैतूल से सामने आया है. जहां एक महिला को सही समय पर अस्पताल पहुंचाने में एंबुलेंस स्टाफ ने जी जान लगा दी, जिसका नतीजा रहा कि महिला को समय पर इलाज मिल सका और वह स्वस्थ्य है. 


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दरअसल, 19 वर्षीय अंजली धुर्वे की बीती 22 फरवरी को जिला अस्पताल में एक बच्ची को जन्म दिया था, डिलीवरी के बाद 23 फरवरी को अंजली को अस्पताल प्रबंधन ने छुट्टी दे दी थी, पति हेमंत उसे अपने साथ गांव ले गया, अचानक एमीनिया होने जाने के बाद अंजली बेहद कमजोर हो गई थी. 



शुक्रवार शाम को अंजली को अचानक सांस लेने में तकलीफ हुई तो परिजनों ने 108 एंबुलेंस को कॉल किया. सूचना पर एंबुलेंस मौके पर पहुंची, लेकिन अंजली का घर मुख्य सड़क से दो किलोमीटर अंदर था. रास्ता नहीं होने से घर तक एंबुलेंस पहुंचना मुमकिन नहीं था. ऐसे में एंबुलेंस स्टाफ पैदल चलकर अंजली के घर पहुंचा. 


एंबुलेंस स्टाफ ने ऐसे बचाई महिला की जान


पीड़िता के घर पहुंचकर एंबुलेंस स्टाफ में शामिल ईएटी महेश झलिए और पायलट संतोष जौंजारे ने बिना देर किए अपने कंधों से खाट को सहारा दिया और दो किलोमीटर पैदल चलकर उसे एंबुलेंस तक लेकर आए. एंबुलेंस में ही प्राथमिक उपचार देने के बाद उसे जिला अस्पताल लेकर पुहंचे. इलाज के बाद महिला की हालत अब सामान्य बताई जा रही है.


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