Mahashivratri: हर साल 6 से 8 इंच बढ़ता है जंगल में स्थित यह शिवलिंग, दर्शन मात्र से दूर होते हैं कष्ट
प्रशासन द्वारा पिछले कई सालों से इसका आकार नापा जा रहा, इसमें हर साल 6 से 8 इंच की वृद्धि दर्ज की जाती है. पिछले 8-10 सालों में ही यहां शिवरात्रि पर आने वाले भक्तों की संख्या बढ़ कर 20 हजार से ज्यादा हो गई है.
बलराम नायक/गरियाबंदः महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर हम आपको बताने जा रहे हैं छत्तीसगढ़ में स्थित उस शिवलिंग के बारे में जो पिछले कई सालों से लगातार बढ़ता जा रहा है. इस वक्त 80 फीट ऊंचे और 230 फीट चौड़े इस शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि इसके आकार में लगातार वृद्धि हो रही है. छत्तीसगढ़ समेत देशभर के शिवभक्तों की आस्था का प्रतीक यह शिवलिंग गरियाबंद जिला मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
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दूर-दूर से आ रहे हैं भक्त
मरौदा गांव के घने जंगलों में स्थित इस शिवलिंग के बारे में कई सालों तक लोगों को जानकारी नहीं थी. लेकिन जैसे ही लोगों को शिवलिंग के लगातार बढ़ने के बारे में पता चला उनकी आस्था भी बढ़ने लगी. प्रशासन द्वारा पिछले कई सालों से इसका आकार नापा जा रहा, इसमें हर साल 6 से 8 इंच की वृद्धि दर्ज की जाती है. पिछले 8-10 सालों में ही यहां शिवरात्रि पर आने वाले भक्तों की संख्या बढ़ कर 20 हजार से ज्यादा हो गई है. गरियाबंद का यह मंदिर भगवान भूतेश्वर नाथ के नाम से जाना जाता है, जहां हर बार की तरह इस बार भी पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए है.
दर्शन मात्र से दूर होते हैं सभी कष्ट
श्रद्धालुओं की मान्यता है कि इस दिन वैदिक मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुए महादेव का जलाभिषेक व व्रत पूजन करना चाहिए. यहां पर बेलपत्र चढ़ा रहे भक्तों का कहना है कि भूतेश्वर नाथ के दर्शन मात्र से लोगों के कष्ट दूर होते हैं. जो मुराद यहां दिल से मांगी जाती है भोलेनाथ उसे जरूर पूरा करते हैं.
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सैकड़ों साल पहले शुरू हुई इस शिवलिंग की कहानी
बताया जाता है कि सैकड़ों साल पहले जमीनदारी प्रथा के समय पारा गांव के रहने वाले जमीनदार शोभासिंह की यहां पर खेती-बाड़ी थी. शोभासिंह जब भी शाम को खेत में जाता वहां मौजूद टीले के पास उसे सांड के हुंकारने और शेर के दहाड़ने की आवाजें आतीं. उसने गांव वालों को यह बात बताई, उन्होंने भी कहा कि उन्हें यहां इस तरह की आवाजें आई थीं.
गांव वालों ने आस-पास सांड और शेर को ढूंढा, लेकिन उन्हें दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आया. इसके बाद से ही लोगों ने इसे शिवलिंग का एक रूप मान लिया और महादेव के प्रति उनकी आस्था बढ़ती गई. लोगों की मान्यता है कि यहां से पानी भी निकलते हुए दिखाई देता है.
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