अर्पित पांडेय/भोपालः 20 मार्च मध्य प्रदेश की सियासत का वह दिन है, जब 15 साल बाद सत्ता पर काबिज होने वाली कांग्रेस की कमलनाथ सरकार 15 महीने बाद ही गिर गई. ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके साथ 22 कांग्रेसी विधायकों के इस्तीफे के बाद अल्पमत में आई सरकार के मुखिया कमलनाथ ने 20 मार्च 2020 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. लेकिन 15 साल बाद प्रदेश की सत्ता में वापसी करने वाली कांग्रेस की सरकार 15 महीनों में ही कैसे गिर गई? इसकी कई वजहें निकलकर सामने आई है. मध्य प्रदेश की सियासत में हुई इस सबसे बड़ी राजनीतिक उठापठक के एक साल पूरे होने पर हम आपको कमलनाथ सरकार गिरने की पूरी जानकारी सिलसिलेवार तरीके से बताने जा रहे हैं. क्योंकि इस घटना के एक साल पूरा होने पर 20 मार्च को कांग्रेस जहां "लोकतंत्र सम्मान"  दिवस के रूप में मनाने जा रही है, तो वहीं बीजेपी ने इस दिन को "खुशहाली" दिवस मनाने का ऐलान किया है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

एक बयान से शुरू हुआ कांग्रेस में घमासान
दरअसल, कमलनाथ सरकार गिरने की वजह कांग्रेस की आपसी अंतर्कलह मानी गई. ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ के बीच सियासी वर्चस्व की लड़ाई को कांग्रेस की सरकार गिरने की बड़ी वजह माना गया. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही सिंधिया और कमलनाथ के बीच कई मुद्दों पर शायद सहमति नहीं बन रही थी. लेकिन टीकमगढ़ की एक सभा में ज्योतिरादित्य सिंधिया के एक ऐलान ने इस असहमति को विवाद में बदल दिया था और फिर यही विवाद आखिर में कमलनाथ सरकार गिरने की प्रमुख वजह माना गया.


दरअसल टीकमगढ़ में अतिथि शिक्षकों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया से उनकी मांगे पूरी नहीं होने पर सवाल किया तो सिंधिया ने कहा कि अगर अतिथि शिक्षकों की मांगे पूरी नहीं हुई तो वह उनके साथ सड़कों पर उतरेंगे. प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद यह पहला मौका था जब ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी ही सरकार के खिलाफ कोई बयान दिया था. सिंधिया के इस बयान के बाद प्रदेश की सियासत गरमाने लगी.


5 मार्च से शुरू हुई सियासी हलचल
जब इस कमलनाथ से सवाल किया गया कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी ही सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरने की बात कह रहे हैं, तो कमलनाथ ने कहा कि उतर जाए. इस बयान के बाद सियासी रस्साकस्सी तेज हो गई. लेकिन 5 मार्च को कुछ ऐसा हुआ कि प्रदेश की सियासत में भूचाल आ गया. मध्य प्रदेश के निर्दलीय, बसपा, सपा और कांग्रेस के करीब 11 विधायकों के गायब होने की खबर से सामने आई. बताया गया ये विधायक मानेसर और बेंगलुरू की होटल में रूके हुए हैं. जिसके बाद मध्य प्रदेश की सियासत में एक बड़ा पॉलिटिकल ड्रामा शुरू हुआ.


ये भी पढ़ेंः 20 मार्च से एमपी में राम राज्य शुरू हुआ- जानिए भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा क्यों कही ये बात?


6 मार्च को पहले पहले कांग्रेस विधायक ने दिया इस्तीफा
गायब हुए कांग्रेस विधायकों में शामिल हरदीप सिंह डंग ने अचानक इस्तीफा दे दिया. डंग के इस्तीफे के बाद कमलनाथ एक्टिव हुए कांग्रेस के सभी विधायकों को भोपाल बुलाया गया और सभी को राजधानी न छोड़ने के निर्देश दिए गए. इस बीच कांग्रेस ने देर रात तक जद्दोजहद करके 6 विधायकों की वापसी करा दी. लेकिन पांच विधायक गायब रहे. इन विधायकों में हरदीप सिंह डंग, रघुराज सिंह कंसाना, बिसाहूलाल सिंह और निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा शामिल थे.


7 मार्च को सिंधिया समर्थक विधायकों ने पहली बार दिखाए बगावती तेवर
खास बात यह है कि इस ड्रामे के बीच कमलनाथ और दिग्विजय सिंह तो पूरी तरह से एक्टिव नजर आ रहे थे. लेकिन उस वक्त कांग्रेस के बड़े नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए थे. हरदीप सिंह डंग के इस्तीफे के बाद अचानक 7 मार्च को सिंधिया समर्थक विधायक महेंद्र सिंह सिसोदिया ने एक ऐसा बयान दिया जिससे प्रदेश में एक फिर सियासी भूचाल आया. सिसोदिया ने कहा अगर कमलनाथ सरकार ने सिंधिया की उपेक्षा की तो इस सरकार पर संकट आ जाएगा. इस बीच 8 मार्च को गायब विधायक बिसाहूलाल सिंह अचानक वापस भोपाल लौट आए. लेकिन उन्होंने कहा कि कमलनाथ सरकार से उनकी नाराजगी तब तक दूर नहीं होगी, जब तक वे मंत्री नहीं बन जाते. दरअसल, बिसाहूलाल सिंह छठवीं बार कांग्रेस से विधायक बने थे. लेकिन उन्हें कमलनाथ सरकार में मंत्री नहीं बनाया गया था. जिससे वह नाराज थे.


9 मार्च से शुरू हुआ असली ड्रामा
मध्य प्रदेश का असली सियासी ड्रामा 9 मार्च से शुरू हुआ. ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक करीब 19 विधायक अचानक गायब होने से कांग्रेस में हड़कंप मच गया. इन विधायकों में 6 मंत्री भी शामिल थे. खबर मिली की ये सभी 22 विधायक बेंगुलरू के एक होटल में हैं. गायब होने वाले इन विधायकों में गोविंद सिंह राजपूत, प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, तुलसी सिलावट, प्रभुराम चौधरी, महेंद्र सिंह सिसौदिया शामिल थे. जो कमलनाथ सरकार में मंत्री भी थे. इसके अलावा विधायक हरदीप सिंह डंग, जसपाल सिंह जज्जी, राजवर्धन सिंह, ओपीएस भदौरिया, मुन्ना लाल गोयल, रघुराज सिंह कंसाना, कमलेश जाटव, बृजेंद्र सिंह यादव, सुरेश धाकड़, गिरराज दंडौतिया, रक्षा संतराम सिरौनिया, रणवीर जाटव, जसवंत जाटव, मनौज चौधरी, बिसाहूलाल सिंह, ऐंदल सिंह कंसाना शामिल थे. इधर देर रात खबर मिली की कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करने पहुंचे हैं. इस खबर के बाद यह क्लीयर हो गया कमलनाथ सरकार खतरे में है.


10 मार्च को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से दिया इस्तीफा
10 मार्च की सुबह ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने दिल्ली स्थित आवास से सीधे फिर गृहमंत्री अमित शाह से मिलने पहुंचे. फिर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने मीडिया से कोई बातचीत नहीं की. पीएम मोदी और अमित शाह से मुलाकात के कुछ ही देर बात ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने इस्तीफा कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा. इधर सिंधिया के इस्तीफे के बाद बेंगुलरू में मौजूद 22 विधायकों ने भी एक साथ अपना इस्तीफा दे दिया. जिससे कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई. इतना ही नहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफे के बाद प्रदेश में उनके समर्थकों में इस्तीफा देने की होड़ मच गई. कई नेताओं ने पार्टी छोड़ दी.


11 मार्च को ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में शामिल हो गए
10 मार्च को कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 11 मार्च को बीजेपी ज्वाइन कर ली. 17 साल तक कांग्रेस से राजनीति करने वाले सिंधिया को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने बीजेपी की सदस्यता दिलाई. सिंधिया के बीजेपी में शामिल होते ही 11 मार्च की शाम भोपाल में कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई. इस बैठक में सिर्फ 93 विधायक पहुंचे. जिससे साफ हो गया कि कमलनाथ सरकार खतरे में है. बीजेपी में शामिल होने के चंद घंटों बाद ही भाजपा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्यप्रदेश से पार्टी का राज्यसभा उम्मीदवार घोषित कर दिया.


12 मार्च को भोपाल दौरे पर पहुंचे सिंधिया
बीजेपी में शामिल होने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया पहली बार भोपाल पहुंचे, जहां उनका भाजपाईयों ने जोरदार स्वागत किया. सिंधिया इस दौरान बीजेपी के प्रदेश कार्यालय पहुंचे जहां शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर, नरोत्तम मिश्रा और गोपाल भार्गव सहित बीजेपी के तमाम दिग्गजों ने उनका स्वागत किया. इसके बाद उन्होंने राज्यसभा के लिए नामांकन भी भरा.


विधायकों की शिफ्टिंग शुरू
इस बीच कांग्रेस ने अपने सभी विधायकों को जयपुर रवाना कर दिया. जबकि बसों में इन विधायकों को भेजा गया कांग्रेस का दावा था कि उनकी सरकार सुरक्षित हैं. इसी दौरान भोपाल में बीजेपी के बड़े नेताओं की भी बैठक हुई. बैठक के बाद बीजेपी ने भी अपने सभी विधायकों को हरियाणा के मानेसर होटल में शिफ्ट कर दिया.


विधानसभा अध्यक्ष बनाम राज्यपाल के बीच पहुंची सरकार की लड़ाई
13 मार्च को कमलनाथ ने अपने मंत्रिमंडल से सिंधिया समर्थक सभी विधायकों को बर्खास्त कर दिया. जबकि मध्य प्रदेश के इस सियासी ड्रामे में अब तक किसी भी विधायक का इस्तीफा उस वक्त के विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने स्वीकार नहीं किया था. लेकिन 14 मार्च को पहली बार एनपी प्रजापति ने मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, तुलसी सिलावट, प्रभुराम चौधरी और महेंद्र सिंह सिसौदिया का इस्तीफा स्वीकार कर लिया. इस्तीफा स्वीकार होने के बाद मध्य प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को फ्लोर टेस्ट कराने के निर्देश देते हुए विधानसभा में बहुमत साबित करने के निर्देश दिए, लेकिन राज्यपाल के आदेश के बाद कांग्रेस नेताओं ने कहा कि सदन में क्या होगा यह विधानसभा अध्यक्ष तय करेंगे न कि राज्यपाल.


सिंधिया समर्थक विधायकों ने जारी किए वीडियो
इस बीच बीजेपी और कांग्रेस के विधायक वापस भोपाल लौट आए, वहीं बेंगलुरू में बैठे सिंधिया समर्थक विधायकों ने वीडियो जारी कर बताया कि वे अपनी मर्जी से वहां हैं और उन्होंने अपना इस्तीफा भेज दिया है. वह अब सरकार के साथ नहीं है. 15 मार्च को देर रात तक राजधानी भोपाल में गहमागहमी चलती रही, इस दौरान कमलनाथ ने राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात की. मुलाकात के बाद कमलनाथ ने कहा कि  फ्लोर टेस्ट का फैसला विधानसभा अध्यक्ष लेंगे.


ये भी पढ़ेंः दिग्विजय का तंज: सिंधिया कांग्रेस में 'महाराज' थे, भाजपा ने 1 साल में उन्हें 'भाई साहब' बना दिया


16 मार्च को नहीं हुआ फ्लोर टेस्ट
विधानसभा का सत्र शुरु हुआ. लेकिन राज्यपाल के भाषण के बाद विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने कोरोना का हवाला देते हुए सदन स्थगित कर दिया और फ्लोर टेस्ट नहीं कराया गया. फ्लोर टेस्ट नहीं होने पर बीजेपी अपने तमाम विधायकों के साथ राजभवन पहुंचकर राज्यपाल लालजी टंडन के सामने परेड कर कमलनाथ सरकार को अल्पमत में बताया.


सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मध्य प्रदेश का सियासी ड्रामा
मध्य प्रदेश में चल रहा यह सियासी ड्रामा 17 मार्च को सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. स्पीकर के इस फैसले के खिलाफ भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जहां तीन दिनों तक चली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 19 मार्च को बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट कराए जाने के आदेश दिए. 20 मार्च 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने शाम 5 बजे का समय फ्लोर टेस्ट के लिए तय किया. पूरे देश की नजरें इस फ्लोर टेस्ट पर टिकी हुईं थी.


17 मार्च की रात सभी विधायकों के इस्तीफे हुए स्वीकार
आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के चंद घंटों बाद ही 17 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने देर रात बेंगलुरू में बैठे कांग्रेस के बागी 16 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए, जिसके बाद मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार आधिकारिक तौर पर  अल्पमत में आ गई.


19 मार्च को कांग्रेस ने की आखिरी कोशिश
19 मार्च को कांग्रेस ने सरकार बचाने की आखिरी कोशिश की, दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस के कई बड़े नेता बेंगलुरु बागी विधायकों को मनाने पहुंचे लेकिन बेंगलुरु पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. कांग्रेस नेताओं की यह कोशिश काम नहीं आई.


20 मार्च को गिर गई कमलनाथ सरकार
20 मार्च को कमलनाथ सरकार को फ्लोर टेस्ट से गुजरना था, लेकिन उससे पहले ही कमलनाथ ने मुख्यमंत्री आवास पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी, उन्होंने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल लालजी टंडन को अपना इस्तीफा सौंप दिया और इस तरह 15 महीने तक चली कमलनाथ सरकार गिर गई. जिसके बाद मध्य प्रदेश में 17 दिन से चल रहा यह सियासी संग्राम थम गया. मध्य प्रदेश की सियासत में 17 दिन तक घटी यह घटनाएं सूबे के सियासी इतिहास में दर्ज हो गई.


23 मार्च 2020 को चौथी बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह चौहान
कमलनाथ के इस्तीफा देने के बाद ही बीजेपी ने राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा प्रस्तुत कर दिया. जहां 23 मार्च 2020 को शिवराज सिंह चौहान चौथी बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. इस तरह 15 महीने बाद ही बीजेपी एक बार फिर मध्य प्रदेश की सत्ता पर काबिज हो गई.


ये भी पढ़ेंः मध्यप्रदेश के CM शिवराज ने किया बड़ा ऐलान, गांव-गांव में मिलेगी यह जरूरी सुविधा


WATCH LIVE TV