अंधविश्वास और पशुक्रूरता का जानलेवा खेल, गायों के बीच चलाए जाते हैं पटाखे, खुशियां मनाते हैं लोग
मध्यप्रदेश के मंदसौर में परंपरा के नाम पर अंधविश्वास और पशुक्रूरता के मामले लगातार सामने आ रहे हैं.
मनीष पुरोहित/मंदसौर: मध्यप्रदेश के मंदसौर में परंपरा के नाम पर अंधविश्वास और पशुक्रूरता के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. जिला मुख्यालय से तकरीबन 60 किलोमीटर दूर ग्राम कोटड़ा बुजुर्ग में परंपरा के नाम पर पशु क्रूरता की तस्वीरें सामने आई है.
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इस तरह होता है कार्यक्रम
दरअसल एक छोटे स्टेडियम नुमा स्थान में गाय को घेर दिया जाता है और फिर लकड़ी के सिरे पर बंधा चमड़ा उनसे फड़वाने का प्रयास किया जाता है. इस दौरान गायों पर जलते हुए पटाखे भी फेंके जाते हैं. पटाखों के विस्फोट से भयभीत होकर गाय बचने के लिए बिदक कर भागती हुई दिखाई देती है. इस दौरान ढोल नगाड़ों की आवाज भी सुनाई देती रहती है. आखिरकार गाय के जरिए लकड़ी के सिरे पर बंधा चमड़ा फटता है और लोग खुशियां मनाते हैं.
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बरसों से चल रही थी परंपरा
बरसों से चली आ रही इस परंपरा को आयोजित करने वाले गांव के पटेल परिवार के सदस्य बताते हैं कि कई वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है. जिसे छोड़ कहा जाता है. गांव वालों की मान्यता है कि जब श्री राम अयोध्या लौटे थे, तो तमाम पशु भी अपने खूटे सहित अन्य स्थानों को छोड़कर उनकी अगवानी के लिए पहुंचे थे. इसी के चलते आज भी छोड़ फाड़ का आयोजन किया जाता है. माना जाता है कि यदि चमड़ा गाय के द्वारा फाड़ दिया जाता है तो साल भर इलाके के लिए खुशहाली आती है.
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