Dhar Bhojshala Survey: धार स्थित भोजशाला का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) सर्वे का आज शनिवार को 9वां दिन है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने 8वें दिन करीब 6 घंटे भोजशाला के अंदर और बाहर सर्वे किया. दरअसल शुक्रवार को जुम्मे की नमाज के चलते एएसआई की टीम ने करीब छह घंटे सर्वे का काम ही किया. लेकिन आज शनिवार फिर टीम सुबह 6 बजे से सर्वे के लिए जुट गई है.


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जानकारी के मुताबिक शुक्रवार को भोजशाला के बाहर फिर उत्खनन किया गया. वहीं कल कुछ स्पॉट भी चिन्हित किये गए है.  इस दौरान हिंदू-मुस्लिम पक्षकार भी मौजूद रहे. बताया जा रहा है कि भोजशाला की नींव की खुदाई चल रही है. खुदाई में कई सबूत मिले हैं जिनको संग्रहित किया गया है.


6 सप्ताह में सौंपना है रिपोर्ट
गौरतलब है कि धार की ऐतिहासिक भोजशाला में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा 22 मार्च को इस सर्वे की शुरुआत की गई थी. एमपी हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ के आदेश पर ही सर्वे शुरू किया गया है. अब हाई कोर्ट आदेश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को छह सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देनी है. अब इस सर्वे कार्य को 9 दिन बीत चुका है.


ASI के सर्वे में अब तक क्या हुआ?
- भोजशाला कों अंदर बाहर नापा गया मतलब लम्बाई चौड़ाई का मेजरमेंट मिलाया गया
- भोजशाला के अंदर बाहर से मिट्टी के सेम्पल लिए गए.
- खुदाई करके निकाले गए पत्थरों के सेम्पल लिए गए, जिससे भोजशाला की उम्र पता की जा सके.
- कार्बन डेटिंग की गई
- भोजशाला के अंदर मौजूद पत्थरों पर मौजूद कलाकृतियों कों रिकॉर्ड किया उनके सबूत लिए
- भोजशाला के बाहरी हिस्से में अबतक 3 गड्डे खोदे गए एक गड्डे की गहराई 12 फ़ीट से अधिक हो गई
- गड्डे से मिट्टी और पत्थर निकाले गए
- भोजशाला की नींव की खुदाई की जा रही, जिससे भोजशाला की उम्र का पता चल सके.
- नींव की खुदाई तक जाने के लिए सीढ़ियों का इस्तेमाल किया जा रहा है.
- भोजशाला के बाहर कमाल मौला मज्जिद तक मार्किंग की गई
- भोजशाला के बाहर कब्रिस्तान के सामने भी मार्किंग की गई.
- भोजशाला की छत कों नापा गया
- ASI की सर्वे टीम में दो एक्सपर्ट और बड़े अब कुल 19 सदस्यों की टीम हो चुकी है.


क्या है भोजशाला
11वीं शताब्दी में मध्य प्रदेश के धार जिले में परमार वंश का शासन था. 1000 से 1055 ई. तक राजा भोज धार के शासक थे. खास बात यह थी कि राजा भोज देवी सरस्वती के बहुत बड़े भक्त थे. 1034 ई. में राजा भोज ने एक महाविद्यालय की स्थापना की थी, यह महाविद्यालय बाद में 'भोजशाला' के नाम से जाना गया, जिस पर हिंदू धर्म के लोग आस्था रखते हैं.


(धार से कमल सोलंकी की रिपोर्ट)