Dhar Bhojshala Case Update: अयोध्या की तरह भोजशाला के सर्वे का बढ़ेगा समय? जानिए हिंदू पक्ष की याचिकाकर्ता ने ऐसा क्यों कहा
Dhar Bhojshala Survey: धार स्थित भोजशाला का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) सर्वे का आज 14वां दिन है. वहीं हिंदू फ्रंट फार जस्टिस की राष्ट्रीय अध्यक्ष व भोजशाला प्रकरण की याचिकाकर्ता रंजना अग्निहोत्री का कहना हैं कि सर्वे में अभी काफी समय लगेगा.
Dhar Bhojshala Survey: धार स्थित भोजशाला का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) सर्वे का आज गुरुवार को 14वां दिन है. ASI की टीम मॉर्डन उपकरणों के साथ भोजशाला में सुबह 8 बजे पहुंच गई. सर्वे टीम के साथ आज भोजशाला में हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की राष्ट्रीय अध्यक्ष और मूल पक्षकार रंजना अग्निहोत्री और मुस्लिस पक्ष की ओर से अब्दुल समद भी सर्वे टीम के साथ भोजशाला में दाखिल हुए.
बता दें कि हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की राष्ट्रीय अध्यक्ष और मूल पक्षकार रंजना अग्निहोत्री सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी लेकर भोजशाला में पहुंची है. वह ASI अधिकारियों से डिस्कशन करेगी कि इंदौर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार सर्वे हो रहा है या नहीं. सर्वे की टीम ने अभी तक जीपीएस और सीपीआर पद्धति का इस्तेमाल किया गया है या नहीं? तमाम बिंदुओं की जांच रंजना अग्निहोत्री करेंगी.
सर्वे बढ़ाने की होगी मांग
हिंदू फ्रंट फार जस्टिस की राष्ट्रीय अध्यक्ष व भोजशाला प्रकरण की याचिकाकर्ता रंजना अग्निहोत्री का कहना हैं कि सर्वे में अभी काफी समय लगेगा. इसलिए ASI को अयोध्या की तर्ज पर न्यायालय में आवेदन देकर सर्वे का समय बढ़वाना चाहिए. सर्वे में फिलहाल क्लीनिंग, ब्रशिंग की प्रक्रिया की जा रही है. जो अवशेष मिल रहे हैं, उनके पैकेट बनाकर रखे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि ये बहुत ही धीमी प्रक्रिया होती है. मेरा अनुमान है कि सर्वे कार्य में काफी वक्त लगेगा.
Gyanvapi और मथुरा केस की वकील जाएंगी धार भोजशाला, ASI के सर्वे में निभाएंगी अहम रोल
तेजी से चल रहा है सर्वे का काम
भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) धार की भोजशाला में सर्वेक्षण का काम तेजी से चल रहा है. भोजशाला में सर्वे के13वें दिन ASI के अधिकारी और 35 मजदूरों के साथ भोजशाला में प्रवेश किया. शाम 5 बजे तक 13वें दिन का सर्वे चला.
क्या है भोजशाला
11वीं शताब्दी में मध्य प्रदेश के धार जिले में परमार वंश का शासन था. 1000 से 1055 ई. तक राजा भोज धार के शासक थे. खास बात यह थी कि राजा भोज देवी सरस्वती के बहुत बड़े भक्त थे. 1034 ई. में राजा भोज ने एक महाविद्यालय की स्थापना की थी, यह महाविद्यालय बाद में 'भोजशाला' के नाम से जाना गया, जिस पर हिंदू धर्म के लोग आस्था रखते हैं.
(धार से कमल सोलंकी की रिपोर्ट)