संजय लोहानी/सतना: मध्यप्रदेश में खनिज माफिया का एक हैरतअंगेज मामला सामने आया है. यहां रेत के अवैध परिवहन के लिए खनिज माफिया ने खनिज विभाग के पोर्टल की तरह हूबहू दिखने वाला एक डमी पोर्टल तैयार कर लिया. इसका उपयोग वह रेत के अवैध परिवहन करने के इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजिट पास (ईटीपी) जनरेट करने के लिए करने करता था. इस फर्जी ईटीपी पास को सामान्य लोग क्या, विभाग के अधिकारी और पुलिसकर्मी भी पहली नजर में नहीं पकड़ सकते थे. इसका उपयोग कर रेत माफिया सरकारी रॉयल्टी की चोरी के साथ-साथ रेत का अवैध परिवहन धड़ल्ले से कर रहे थे. इस पूरे मामले में जबरदस्त फर्जीवाड़े की आशंका है.


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सतना जिले के खनिज विभाग ने 3 अगस्त को रेत से भरे जिन दो ट्रकों को पकड़ा था, उन्हें यूरेका माइंस एंड मिनरल के नाम पर पन्ना जिले के बहेरा रेत के स्टॉक से भरा गया था. हैरानी की बात यह है कि खनिज विभाग के पोर्टल ने पन्ना जिले के ईटीपी जनरेट करने में रोक लगा रखी है. इसलिए इसी रेत के स्टॉक करने वाली फर्म के नाम से फर्जी पोर्टल बना ईटीपी जनरेट की गई थी. 


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फर्जी पोर्टल और क्यूआर कोड से पुलिस को चकमा 
इसके लिए बाकायदा रेत माफिया ने फर्जी पोर्टल भी तैयार किया था. प्रदेश स्तर के अनोखे फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब सतना खनिज विभाग ने ट्रांजिट पास के क्यूआर कोड को अपने माइनिंग के पोर्टल में स्कैन किया. इसके बाद ट्रांजिट पास उस पोर्टल के गेटवे में ले गया जो मध्यप्रदेश सरकार के खनिज विभाग का है ही नहीं. इस फर्जी पोर्टल और इससे जनरेट क्यूआर कोड से पुलिस व मैदानी अमले को रेत माफिया लम्बे समय से आसानी से गुमराह कर रहे थे.


साइबर सेल कर सकती है जांच
अब मामला उजागर होने के बाद खनिज विभाग में हड़कम्प मचा है. पूरा फर्जीवाड़े का मामला सतना कलेक्टर के संज्ञान में आने के बाद उन्होंने इस मामले में ट्रक मालिक ड्राइवर सहित रेत ठेकेदार के खिलाफ मामला पंजीबद्ध करने के आदेश दिए हैं. पूरे मामले को साइबर सेल को सौंपे जाने की बात कही है.


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खनिज मंत्री के जिले में ही सबसे बड़ा घोटाला
सबसे हैरानी की बात यह है कि यह बड़ा घोटाला MP में खनिज मंत्री ब्रजेन्द्र सिंह के गृह जिले पन्ना में उजागर हुआ है. खनिज विभाग इस मामले में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराने की बात कह रहा है. इस पूरे मामले में अगर निष्पक्ष जांच होगी तो प्रदेश का सबसे बड़ा घोटाला सामने आएगा. कई सफेदपोश रेत माफिया के चेहरे बेनक़ाब होंगे. ऐसे फर्जी पोर्टल के जरिये अन्य जिले में भी रॉयल्टी चोरी का बड़ा खुलासा हो सकता है.


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