मनोज जैन/राजगढ़: पांच बेटे और भरा पूरा परिवार फिर भी एक बुजुर्ग महिला दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं. मामला राजगढ़ जिले के देवाखेड़ी गांव का है यहां रहने वाली एक बुजुर्ग महिला के पांच बेटे हैं. लेकिन पांचों में से कोई भी बेटा बुढ़ापे में मां का सहारा नहीं बनना चाहता.


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बुढ़ापे में बूढ़ी मां को छोड़ा 
पांच बेटों में से कोई भी बेटा जब इस मां को अपने साथ रखने को तैयार न हो, सोचिए उस मां पर क्या बीत रही होगी. जिन्हें बचपन से लेकर युवा होने तक बड़े नाजों से पाला, जिनकी हर ख्वाहिश पूरी की. शादी-कर उनके घर बसाए. लेकिन आज वही औलाद अपनी बूढ़ी मां को दो वक्त की रोटी देने के लिए तैयार नहीं है. पांचों बेटों ने मिलकर पिता की मौत के बाद पैतृक संपत्ति जिसमें 26 बीघा जमीन थी. उसमें से 22 बीघा जमीन बेच दी और बाकि बची 4 बीघा जमीन एक गांव के व्यक्ति को देकर मां के भरण-पोषण की जिम्मेदारी उसे दे दी. उस व्यक्ति ने भी फर्जी तरीके से जमीन अपने नाम कर ली और बुजुर्ग महिला का भरण पोषण बंद कर दिया और उसे भूखे मरने को छोड़ दिया. 


बेटों के खिलाफ दर्ज कराया मामला 
जब बुजुर्ग महिला को कही से कोई सहारा मिलता न दिखा, तो कभी पांच बेटे होने पर नाज करने वाली मां आज बेटों के खिलाफ पुलिस थाने की चौखट पर पहुंचकर न्याय की गुहार लगा रही है. महिला ने पांचों बेटों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया. जिसके बाद पुलिस ने महिला के चार बेटों को गिरफ्तार कर उन्हें थाने पर ही निजी मुचलके पर छोड़ दिया. 


बेटी बनी सहारा 
महिला ने बताया कि अभी तक वह अपनी बेटी के पास ही रह रही थी, बेटे उसे साथ रखने लिए तैयार नहीं हुए. इसलिए आगे भी उसकी देखरेख बेटी ही करेगी. पुलिस ने मां और बेटों के बीच सुलह कराने की कोशिश की, लेकिन बेटे मां को रखने के लिए तो तैयार नहीं हुए. बाद में पुलिस की सहमति के बाद चार बेटे मां के भरण-पोषण के लिए एक-एक हजार रुपया महीना देने के लिए तैयार हो गए. 


मामले में पुलिस ने बताया कि बुजुर्ग महिला की शिकाय पर उसके बेटे हिम्मत सिंह, राजेंद्र सिंह और धीरज सिंह को हिरासत में लिया था. तीनों इंदौर में रहते हैं. इसके अलावा हालमुकाम भवानीमंड़ी में रहने वाले शंकर सिंह और रमेश सिंह के खिलाफ वरिष्ठ नागरिक देखभाल अधिनियम की धारा 24 के तहत अपराध दर्ज किया है. एक भाई की अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है, उसकी गिरफ्तारी के बाद पुलिस उसे भी एक हजार रुपया प्रतिमाह अपनी मां को भरण पोषण के लिए देंने को कहेंगी. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जिस मां ने इन बेटों को इतना बढ़ा किया आज उनमें से कोई भी अपनी मां को साथ रखने के लिए तैयार नहीं है. 


क्या है माता पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007
दरअसल, माता-पिता और सीनियर सिटीजन के भरण पोषण तथा कल्याण के लिए 2007 में एक अधिनियम लाया गया था. इस अधिनियम के तहत माता पिता और सीनियर सिटीजन की देखभाल ना करने पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है. जबकि भरण पोषण के तौर पर आहार, वस्त्र , निवास और डॉक्टर से इलाज उपलब्ध कराना बेटे का धर्म है. इसके अलावा अगर किसी बुजुर्ग के बेटे उसकी देखरेख नहीं कर रहे हो तो वह 5(1) धारा 4 के अधीन भरण पोषण के लिए आवेदन कर सकता है. जिसके तहत भरण पोषण के लिए आवेदन की प्राप्ति पर पुत्रों या नातेदार को आवेदन की सूचना देने के पश्चात और पक्षकारों को सुनवाई का अवसर देने के पश्चात भरण पोषण की रकम का अवधारणा करने के लिए कोई जांच कर सकेगा. 


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