भोपालः ZEE मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ के "गौरवशाली मध्य प्रदेश" कार्यक्रम में शहीदों और कोरोना महामारी में अपना बलिदान देने वाले कोरोना वॉरियर्स के परिजनों को सम्मानित किया गया. इस कार्यक्रम में केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल भी शामिल हुए. इस दौरान ZEE मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ के संपादक दिलीप तिवारी के साथ बातचीत में प्रहलाद पटेल ने कोरोना महामारी, इससे अर्थव्यवस्था पर हुए असर और बंगाल चुनाव आदि कई मुद्दों पर बातचीत की. पेश है इस बातचीत के प्रमुख अंश-


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हमने उन शहीदों के परिजनों का सम्मान किया है, जिन्होंने कोरोना काल में अपनी शहादत दी है और समाज की रक्षा की है. हमने गौरवशाली मध्य प्रदेश कार्यक्रम का आयोजन किया है. आप मध्य प्रदेश से हैं. हमारा सवाल है कि आपकी नजर में आज का मध्य प्रदेश और आने वाला मध्य प्रदेश कैसा होगा, आप इसे कैसे देखते हैं?


जवाबः पहले तो मैं आपको इस बात के लिए बधाई दूंगा कि भारतीय संस्कृति के अनुरूप परोपकार और त्याग, जो बलिदान तक चला जाए, उसका सम्मान करने का आपने कार्यक्रम किया है. यह भारतीय संस्कृति का सम्मान है. उन तमाम लोगों को भी प्रणाम करता हूं, जिन्होंने कोरोना वॉरियर्स के रूप में हमारे बीच सेवाएं दी हैं और जिन्होंने इसकी कीमत चुकाई, उन्हें नमन करता हूं. 


आपने जो सवाल किया है कि मध्य प्रदेश कैसा होगा? हम अपने आप में अलग हैं. बाकी जगहों की राजनीति में और मध्य प्रदेश की राजनीति में जमीन आसमान का अंतर है. हमारा संकल्प होना चाहिए कि जो अवगुण हैं, जो राजनीति में बहस के मुद्दे होते हैं, वो मध्य प्रदेश की राजनीति में ना हों. जो विकास के पैमाने होते हैं, वो सबकुछ एमपी के पास है. सबसे बड़ी चीज है कि हमारे यहां वैमनस्य बाकी जगहों की तुलना में कम है. विकास सिर्फ संसाधनों से नहीं होता, मेरी मान्यता है कि विकास वो भी है कि हम अपने मूल्यों को कैसे बचाकर रखते हैं. हम चाहे सरकार में हैं, चाहे राजनीतिक दल में, सामाजिक या व्यापारिक क्षेत्र में काम करते हों, हमें इस बात पर गंभीर होना होगा. 


पूरी दुनिया ने कोरोना की चुनौती देखी है. भारत 'वसुधैव कुटुंबकम' की बात करता है. जिस तरह से भारत पूरी दुनिया में वैक्सीन देने वाले देशों में अग्रणी भूमिका में है. क्या संकट के समय में भारत की भूमिका दुनिया को नजर आई? 


जवाबः संकट काल में हम कैसे अपने आप को साबित कर सकते हैं. कोरोना काल इसका सबसे अच्छा उदाहरण है. हमारी युवा पीढ़ी ने कोरोना जैसी आपदा नहीं देखी. पर्यटन मंत्री होने के नाते मैं कह सकता हूं कि कोरोना से सबसे ज्यादा नुकसान पर्यटन क्षेत्र को हुआ है. 2020 शून्य वर्ष रहा देश के लिए भी और दुनिया के लिए भी. हालांकि दुनिया के मुकाबले में भारत को कम नुकसान हुआ है. दुनिया में जहां 70-80 फीसदी नुकसान हुआ है, वहीं भारत में नुकसान 53 फीसदी के करीब है. विदेशी पर्यटकों की संख्या अगले तीन वर्षों में दोगुनी होगी , ये मेरा विश्वास है.


साथ ही इस दौर में देश की छवि ने नई ऊंचाईयां छुई हैं. राजनैतिक चश्मे से ना देखें तो योग का विश्व व्यापीकरण होना. कोरोना संकट में, दवाईयों के संकट में, भारत जैसा जरूरतमंद देश, जिसकी स्वास्थ्य रैंकिंग 78 से नीचे हो, हम 130 करोड़ की आबादी के देश हैं, मैं सवाल पूछता हूं कि भारत के अलावा दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं है, जिसने दवाईयों से दुनिया की मदद की हो. ये हमारी सांस्कृतिक विरासत है जिसका नेतृत्व पीएम मोदी ने किया है. 


वैज्ञानिक जब वैक्सीन लेकर आए तो आप ही दुनिया के एकमात्र देश हैं, जिसने 17 देशों को वैक्सीन मुफ्त दी. पर्यटन छवि के आधार पर चलता है. भारत की छवि को बिगाड़ने की कोशिश होती रही है. पहले पर्यटक संस्कृति देखने आता था अब वो ये देखने आ रहा है कि ये कमाल के लोग हैं. एक हजार साल पुरानी चीजें तो हमारे एक गांव को छोड़कर दूसरे गांव में मिल जाएंगी. हमने भारतीय संस्कृति के मूल्यों को सहेजा नहीं, शायद कुछ चूक हुई.


देश से बाहर जाने वालों की संख्या दो करोड़ 20 लाख और देश के भीतर आने वाले पर्यटकों की संख्या 1 करोड़ 80 लाख पर्यटक आते हैं. पीएम ने कहा था कि पहले अपना घर देखिए फिर बाहर जाइए. तो वो जो 2 करोड़ 20 लाख लोग बाहर नहीं गए, उन्होंने इस कोरोना के दौर में भी सेचुरेशन ला दिया. यही हमारा अनुमान था, जो सटीक निकला. देश में महानगर संक्रमित हैं, महाराष्ट्र और केरल जैसे राज्य अभी भी संक्रमित हैं. लेकिन छोटे शहरों, पहाड़ी राज्यों में सेचुरेशन है. 


राज्यसभा में दिए गए आंकड़े में मैंने कहा था कि 2020 जनवरी में श्रीनगर में पर्यटक 4000 के करीब गए थे लेकिन अभी 2021 में 19042 पर्यटक गए हैं. चार गुने से ज्यादा. हमें इसे सकारात्मक देखना चाहिए. जम्मू में पिछले साल 9 करोड़ 27 लाख गए थे. इस बार 7 लाख से ज्यादा लोग जा चुके हैं और अभी अमरनाथ यात्रा होनी है. मुझे लगता है कि पूर्वांचल और पहाड़ी राज्यों में वैलनेस टूरिज्म होना चाहिए. साथ ही साहसिक पर्यटन की भी खूब संभावना है. सुरक्षा और शांति भी हमारे पास है.   


योगी जी यूपी में फिल्म सिटी की बात कर रहे हैं. मुंबई के कलाकार भी आएंगे. तो क्या एमपी में भी ऐसी कोई परिकल्पना की जा रही है?


जवाबः कोरोना के बीच फिल्म इंडस्ट्री को धक्का पहुंचा, ये हम सभी जानते हैं. अब एमपी में शूटिंग करना आसान हो गया है. हमारे यहां किसी ऐतिहासिक स्थल पर शूटिंग करनी हो तो उसकी परमिशन में एक साल का समय लगता था. इसे ऑनलाइन करने के साथ ही 20 दिन कर दिया गया है. इसी का नतीजा है कि अभी एमपी के श्रीनगर में 26 फिल्मों की शूटिंग चल रही है. साथ ही एक लाख की फीस को घटाकर 50 हजार किया है. साथ ही यूनेस्को और आइकन साइट को छोड़कर बाकी लोग सभी जगह पर शूटिंग कर सकते हैं. 


फिल्म सिटी के लिए हमारे पास जगह है, खजुराहो उसके लिए मुफीद है. बहुत जल्दी हम उसकी डीपीआर बनाने के लिए पब्लिक हियरिंग कर रहे हैं. पहले लोगों के सुझाव मांगे जाएंगे और फिर डीपीआर तैयार होगी. अक्सर डीपीआर लेते हैं और लाद देते हैं. यह टूरिज्म का तरीका नहीं है. सही तरीका वो है कि पहले लोगों से पूछा जाए कि वह चाहते क्या हैं और फिर उस दिशा में आगे बढ़ा जाए.  


देश की बात करें तो रोजगार और इकॉनोमी को लेकर चिंता है. ये बड़ा फैक्टर है, जिसे लेकर विपक्ष लगातार सवाल उठाता है. अर्थव्यवस्था को धक्का लगा और रोजगार भी कम हुए?


जवाबः सरकार ने माना है कि नुकसान हुआ है इससे कोई इनकार नहीं कर रहा है. दूसरे पक्ष को भी देखिए कि आप देश के 80 करोड़ लोगों को जेब से अनाज खिला देते हैं. वो किसी ने जेब से नहीं दिया, वो देश के किसान ने पैदा किया. नुकसान पूरी दुनिया का हुआ है. वंदेमातरम अभियान के तहत लाखों लोगों को लेकर आए. दुनिया में किसी ने नहीं किया. 


इसलिए अर्थव्यवस्था को हर दिन के हिसाब से ना देखा जाए. पर्यटन इंडस्ट्री का बहुत नुकसान हुआ है लेकिन हम पर्यटकों को तो नहीं ला सकते. हमे इस समय को काटना होगा. हम सभी हिस्सेदार हैं. पर्यटन का ठेका ना तो सरकार ले सकती है और ना कोई राज्य सरकार. हम हिस्सेदार हैं तो हमें मिलकर काम करना होगा. इकोनॉमी को लेकर भी यही करना होगा. लेकिन अब इकोनॉमी बहुत तेजी से गति प्राप्त कर रही है. 


बंगाल में आजकल पूरी लीडरशिप वक्त दे रही है. उम्मीदें ज्यादा हैं या ममता दीदी के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी का फायदा मिलेगा?


जवाबः मुझे लगता है कि बंगाल की राजनीति का चरित्र है वो दिख रहा है. बंगाल की पहचान क्या है? संस्कृति वहां की पहचान है. वहां का संगीत, गीत, वहां का नृत्य, साहित्य. रविंद्र संगीत की जगह कोई बम और गोली की आवाज नहीं सुनना चाहता. ये बात मानकर चलिए. इसलिए कोई भी राजनीतिक दल इसकी पैरवी नहीं करना चाहता. उत्तर बंगाल में लोगों ने भय और हिंसा के बीच भी सारी सीटें भाजपा को दे दी. आपके पास 3 विधायक हैं लेकिन 18 सांसद हैं. बंगाल में ममता बनर्जी ने इकबाल खो दिया है. सत्ता उनके हाथ से जा चुकी है. ये बात मान लेनी चाहिए.  


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