ग्वालियर: सड़क, पानी और बिजली सरकार की पहली प्राथमिकता होती है, लेकिन जब चलने के लिए बेहतर सड़कें ही न हो तो विकास के दावे सब बेकार ही माने जाएंगे. कहने को तो ग्वालियर शहर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत आगे बढ़ रहा है, पर शहर की मुख्य सड़कों को छोड़ दिया जाए तो यहां गड्ढे और धूल के गुब्बारे उड़ते नजर आते है. वहीं नगरीय निकाय चुनाव आगामी महीनों होना है, ऐसे में खराब सड़कों का मुद्दा इस चुनाव पर भारी पड़ सकता है.


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निगम कुछ भी कहने को तैयार नहीं
सड़कों की हालत की जिम्मेदारी नगर निगम की है, लेकिन निगम के अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नही हैं. शहर की यह स्थिति इसलिए बन रही है क्योंकि सीवर और पानी की लाइन की वजह से आधे से ज्यादा शहर खुदा हुआ है. जबकि नियम यह कहते है कि जब भी सीवर और पानी की लाइन खोदने वाली कंपनी का काम पूरा होता है तो इसके साथ ही तत्काल सड़क दुरुस्त करना था, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है.


लोग सड़को से निकलने में कतरा रहे
शहर के जनप्रतिनिधि अब खराब सड़कों को लेकर खुले तौर पर बोलने लगे हैं. ग्वालियर पूर्व से कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार का कहना हैं  कि "लोग शहर की सड़कों पर निकलने से कतरा रहे हैं, हम बैलगाड़ी से हेलीकॉप्टर तक आ गए, लेकिन शहर की सड़के गांव की सड़कों से बुरी हो गयी है. यहां का नगर निगम नरक निगम हो गया, आगे भी यही हालत रही तो लोग यहां से पलायन करने लगेंगे".


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सासंद ने कहा निगम की वजह से ऐसी स्थिति
 इस पर स्थानीय सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का कहना हैं की "अम्रत योजना के चलते कई जगहों पर सीवेज और पानी की लाइन बिछाने के कारण हुई है. ठेकेदार की जिम्मेदारी है कि जैसी सड़क काम से पहले थी, उसे वैसी ही स्थिति में सड़क बनाकर देनी होगी. नगर निगम की तरफ से लेटलतीफी हो रही है, हालांकि नयी सड़कों का काम तेजी से चल रहा है.


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