इंदौर:  सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने उज्जैन की पीड़िता को राखी बांधने की शर्त के साथ यौन उत्पीड़न (Sexual exploitation) के आरोपी को जमानत देने के इंदौर हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के जजों से कहा कि इस तरह के आदेश को पारित करने से पहले बचने की सलाह दी है. ऐसे संवेदशील मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिशा-निर्देश भी जारी किए है.


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9 महिला जजों ने दी थी चुनौती
दरअसल राखी बांधने की शर्त पर जमानत देने के इस मामले में 9 महिला वकीलों ने जमानत की शर्त को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. जिसमें महिला वकीलों ने कहा था कि ऐसे आदेश महिलाओं को एक वस्तु की तरह दिखाते हैं.


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क्या था पूरा मामला
बता दें कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने छेड़छाड़ के आरोपित को अनूठी शर्तो पर जमानत दी थी, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि आरोपित रक्षाबंधन के दिन पीड़िता के घर मिठाई लेकर जाए और उसे रक्षा का वचन देते हुए उससे राखी बंधवाएं. यह मामला उज्जैन जिले की खाचरौद तहसील के ग्राम सांदला का था. यहीं रहने वाले विक्रम पुत्र भेरूलाल बागरी पर आरोप था कि वह 20 अप्रैल 2020 की रात करीब ढाई बजे एक महिला के घर में घुसा और उससे छेड़छाड़ की थी. भाटपचलाना थाना पुलिस ने आरोपित के खिलाफ विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज कर दो जून को उसे गिरफ्तार कर लिया था. दो महीने से आरोपित जेल में था. उसने हाई कोर्ट में यह कहते हुए जमानत याचिका लगाई थी कि आरोप लगाने वाली महिला के पति को उसने लॉकडाउन में कुछ रुपये उधार दिए थे. जब उसने रुपये वापस मांगे तो उसे छेड़छाड़ के आरोप में फंसा दिया गया था.


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