Mandla Kinnar Sammelan: मंडला। 15 से 25 नवम्बर तक 10 दिवसीय भारतीय किन्नर सम्मेलन का आयोजन मंडला में हो रहा है. इसमें देश भर के किन्नर शामिल हो रहे हैं. सम्मेलन का आयोजन जिला किन्नर समाज द्वारा किया जा रहा है. आयोजन देश में खुशहाली ओर अमन, चैन के लिए किया जा रहा है. नगर में हो रहे इस सम्मेलन में देश भर से आये किन्नरों का परिचय सम्मेलन, पूजन - पाठ, नृत्य - गायन ओर हवन सहित गुरु मां की गुप्त पूजा सहित विविध आयोजन किये जा रहे हैं. 


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समाज का जता रहे आभार
इस आयोजन का खास आकर्षण किन्नरों द्वारा निकाली जाने वाली कलश यात्रा होगी जो नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए नगर भ्रमण करेगी और यात्रा मार्ग में पड़ने वाले मंदिर, मस्जिदों में घंटे ओर चादरें अर्पण करेंगे. ये मानते हैं कि समाज ने ही इन्हें सब कुछ दिया है. इनका मानना है कि जनता खुश तो ये खुश हैं. इनका मानना है कि हमारे लिए समाज ही सब कुछ है, सब इनका भी दिया हुआ है इसलिए ये समाज के लिए जीते है.


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गुप्त रखा गया है आयोजन
एक समय हीन दृष्टि से देखे जाने वाले इस समाज का यह आयोजन जहां अनोखा है. सम्मेलन स्थल पर किसी को आने अनुमति नहीं है. जबकि, देश भर से आये किन्नर बहुत खुश हैं और अब अपने को समाज का खास हिस्सा मान रहे हैं. ये खुश है कि समाज में कानून में इन्हें इन्हें उचित स्थान मिला है. ये धन्यवाद दे रहे हैं सरकार को की इन्हें समाज मे उचित स्थान दिया गया (थर्ड जेंडर) माना गया. समाज मे महिलाओ, पुरुषों की तरह स्थान दिया गया.


किन्नर बनना भगवान का वरदान
किन्नर बनाने और ईश्वर के अन्याय के सवाल पर कैटरीना किन्नर का कहना है कि भगवान ने हमारे साथ अन्याय नहीं बल्कि न्याय किया. हमे वरदान दिया है और इतना सबल किया है की हम समाज की खुशहाली, जनता की भलाई के लिए वरदान आशीर्वाद देते हैं. हमारी दुआएं काम करती है. इनका मानना है कि भगवान ने हमें जीवन समाज के लिए दिया है. हमें अर्धनारीश्वर का रूप दिया है. 


होते हैं कई कार्यक्रम
किन्नर समाज के इस तरह के अखिल भारतीय सम्मेलन में जंहा थर्ड जेंडर के मनोरंजक व धार्मिक आयोजन होते है. वंही मेल मिलाप व रिश्तेदारियां भी होती है. जहां ये ऐसे सम्मेलनों में मिलकर एक दूसरे से मां, बहन, मौसी और बुआ बेटियों जैसे रिश्ते बनाते है. वही अपने शादीशुदा होने और सुहागिन होने की बातें भी स्वीकार करते हैं.


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सुहागन को देते हैं आशिर्वाद
किन्नर काजल चौधरी बताती है कि हमारे समाज की भी कुछ परंपराएं है. हमारे समाज मे एक यज्ञ का विधान है जो सुहागनें करती हैं. यही वजह है कि हम अपने मनपसंद ईश्वर से शादी कर उसे पति मान लेते हैं. यही कारण है कि हमें महिलाओं को सदा सुहागन रहो ऐसा आशीर्वाद देने का हक मिलता है.


कलश यात्रा होगी सार्वजनिक
जो भी हो देशभर से जुटे हजारों किन्नरों का उक्त सम्मेलन जंहा गुप्त ओर भव्य है. वहीं इनके रीति रिवाज ओर कार्यक्रम रोचक हैं. दस दिवसीय इस आयोजन की सिर्फ 23 नवम्बर को निकाली जाने वाली इनकी कलश यात्रा ही सार्वजनिक होगी. क्योंकि यात्रा नगर भ्रमण करेगी बाकी सभी आयोजन गुप्त हैं.


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