बुजुर्ग ने 170 फीट लंबे कागज पर 79 दिन में `राम नाम` से लिखी हनुमान चालीसा, लगे 600 पेन
वर्ष 1997 में रामनारायण गुर्जर को बिजली का करंट लगा था, जिसके बाद उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई. इस घटना के बाद बुजुर्ग ने सांसारिक संसाधनों को अपने पुत्र को सौंप कर अपना पूरा जीवन भगवान को समर्पित कर दिया.
पीताम्बर जोशी/होशंगाबाद: मध्य प्रदेश में एक 70 वर्षीय बुजुर्ग ने 170 फीट लंबे कागज पर राम नाम से हनुमान चालीसा लिखी है. सिवनी मालवा तहसील के ग्राम जीरावेह के रहने वाले 70 वर्षीय बुजुर्ग रामनारायण गुर्जर ने कोरोना काल के दौरान 25 मार्च से 11 जून तक इस हनुमान चालीसा को लिखकर पूरा कर लिया. यानी 78 दिन में उन्होंने इसे पूरा लिख दिया. हनुमान चालीसा लिखने में रामनारायण को 600 पेन का उपयोग किया. इस काम के लिए बुजुर्ग किसी से सहायता नहीं लेते हैं, अपने खर्चे पर ही लिखते हैं.
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रामनारायण की मानें तो वह इसके पहले वर्ष 2014 में सवा लाख ओम नमः शिवाय लिखकर काशी विश्वनाथ मंदिर में भेंट कर चुके हैं. अब उन्होने राम नाम से सुंदरकांड लिखना शुरू किया है. यह सुंदरकांड 4 साल में पूरा हो जाएगा. सुंदर कांड की एक चौपाई में 5910 शब्द होते हैं. उन्होंने 170 फीट लंबे हनुमान चालीसा में 1 लाख 30 हजार 880 बार से अधिक राम नाम लिखे हैं. दरअसल, उन्होंने हनुमान चालीसा में लिखे गए हर शब्द को राम नाम से बनाया है.
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वर्ष 1997 में रामनारायण गुर्जर को बिजली का करंट लगा था, जिसके बाद उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई. इस घटना के बाद बुजुर्ग ने सांसारिक संसाधनों को अपने पुत्र को सौंप कर अपना पूरा जीवन भगवान को समर्पित कर दिया. युवाओं को संदेश देते हुए उन्होने कहा कि आज के समय में माता-पिता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है. सभी युवाओं को धर्म के साथ-साथ अपने माता-पिता की सेवा करना चाहिए.
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रामनारायण गुर्जर कहते हैं, ''मेरा मुख्य कार्य कृषि है. लेकिन मैं हर रोज 10 से 14 घंटे राम नाम से सुंदरकांड या हनुमान चालीसा लिखता रहता हूं. मैं अभी पूर्ण हनुमान चालीसा लिख चुका हूं. सुंदरकांड लिख रहा हूं. मैं 2014 से लगातार लिख रहा हूं. मुझे साल हो गए हैं. अब तक 600 पेन खाली कर चुका हूं. इसके लिए किसी से आर्थिक सहायता नहीं लेता, अपने खर्चे से ही लिखता हूं. सुंदरकांड जो लिख रहा हूं उसका एक पन्ना 4 फीट लंबा है.''
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