नई दिल्लीः एक लड़की जो बचपन से ही काफी चुलबुली और चंचल थीं और फिल्मों की शौकीन थी. राजेश खन्ना जिसके फेवरेट हीरो थे, उसे देखकर शायद ही किसी ने सोचा होगा कि एक दिन यह लड़की अपनी बहादुरी से ना सिर्फ सैंकड़ों लोगों की जान बचाएगी, बल्कि अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करा जाएगी. हम बात कर रहे हैं भारत की बहादुर बेटी नीरजा भनोट (Neerja Bhanot) की, जिन्होंने फ्लाइट हाईजैक (Plane hijack) करने के दौरान आतंकियों से लोहा लिया और यात्रियों की जान बचाते हुए खुद के प्राणों की आहुति दे दी. 


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मां से कही बात मरते दम तक निभाई
नीरजा भनोट की मां रमा भनोट (Rama Bhanot) ने एक बार बताया था कि "एक दिन नीरजा, प्लेन हाईजैकिंग की ट्रेनिंग लेकर आईं थी. जब नीरजा ने उन्हें इसके बारे में बताया तो वह डर गईं और उन्होंने नीरजा से कहा कि छोड़ दे ऐसी जॉब, तुझे क्या जरूरत है करने की, तू मॉडलिंग कर! रमा भनोट ने बताया कि जब नीरजा ने यह सुना तो बोली कि कैसी मां हैं आप! जो इस तरह की बातें करती हैं. आपको तो बहादुर बनाना चाहिए." 


इस पर रमा भनोट ने कहा कि "मैंने उसे कहा कि ठीक है अगर कभी ऐसी सिचुएशन आए तो भाग जाना! इस पर नीरजा ने कहा कि मर जाऊंगी लेकिन भागूंगी नहीं. रमा भनोट ने भावुक होते हुए बताया कि जब उन्हें पता चला कि नीरजा का प्लेन हाईजैक हो गया है तो मैंने तो उसे वापस आने की उम्मीद ही छोड़ दी थी क्योंकि मुझे पता था कि वह लड़की नहीं भागने वाली और वो भागी भी नहीं." इस तरह नीरजा भनोट ने अपनी मां से कही बात पूरी की और वह प्लेन हाईजैक होने के बाद भागी नहीं और यात्रियों की जान बचाते हुए अपनी जान दे दी. 


मॉडलिंग में भी कमाया नाम


नीरजा भनोट का जन्म 7 सितंबर 1963 को चंडीगढ़ में हुआ था. नीरजा के पिता हरीश भनोट एक पत्रकार थे. नीरजा अपने परिवार की लाडली थीं और घर में उन्हें लाडो के नाम से बुलाया जाता था. नीरजा भनोट Pan Am Flight 73 की फ्लाइट अटेंडेंट होने के साथ ही मॉडलिंग में भी सक्रिय थीं. उन्होंने कुछ विज्ञापन फिल्मों में भी काम किया था. 


जब नीरजा सिर्फ 19 साल की थीं तो उनकी शादी एक मरीन इंजीनियर से हुई और शादी के बाद वह शारजहां शिफ्ट हो गईं. हालांकि उनकी शादी नहीं चल पाई और शादी के दो माह बाद ही वह पति को छोड़कर मुंबई आ गईं और फ्लाइट अटेंडेंट की नौकरी कर ली. 


प्लेन हाईजैक के दौरान आतंकियों से लिया लोहा


5 सितंबर 1986 को उनकी फ्लाइट मुंबई से अमेरिका की उड़ान पर थी. जब यह फ्लाइन सफर के बीच में कराची हवाई अड्डे पर उतरी तो इसे चार फलस्तीनी आतंकियों ने हाईजैक कर लिया. जिस वक्त प्लेन हाईजैक हुआ, उसमें 380 यात्री और 13 क्रू मेंबर थे. जैसे ही प्लेन हाईजैक हुआ, नीरजा ने गजब की बहादुरी दिखाते हुए कॉकपिट के क्रू को हाईजैक कोड का इस्तेमाल करते हुए अलर्ट कर दिया, जिससे फ्लाइट के पायलट बचकर भागने में सफल हो गए और प्लेन उड़ान नहीं भर सका.


नीरजा भनोट ने ऐसे मुश्किल हालात में भी यात्रियों को करीब 17 घंटे तक संभाला और उनका हौसला बढ़ाती रहीं. जब आतंकियों ने यात्रियों को मारने का फैसला किया तो नीरजा भनोट ने तीन अमेरिकी बच्चों को बचाते हुए आतंकियों की गोली खाकर अपनी जान दे दी. भनोट की बहादुरी और समझदारी से फ्लाइट पर सवार 44 अमेरिकी नागरिकों में से 42 की जान बच गई. 


पाकिस्तान सरकार ने भी किया सम्मानित


नीरजा भनोट की बहादुरी को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया. अशोक चक्र पाने वाली नीरजा भनोट पहली और सबसे युवा महिला हैं. पाकिस्तान सरकार ने भी साल 2004 में नीरजा भनोट को तमगा ए इंसानियत अवार्ड से सम्मानित किया था. भारतीय डाक सेवा ने भी उनके सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया था. साल 2016 में नीरजा भनोट के जीवन पर एक फिल्म भी बनाई गई थी, जिसमें सोनम कपूर ने मुख्य भूमिका निभाई थी. इस फिल्म को बेस्ट फीचर फिल्म का नेशनल अवार्ड भी मिला था.