प्रमोद शर्मा/भोपाल:  राजधानी भोपाल में 2023 के अंत तक मेट्रो शुरू करने का वादा पूरा होता नजर नहीं आ रहा है. ऐसे में मेट्रो रूट का सिविल वर्क ही 2023 तक पूरा हो जाए तो यह बड़ी बात होगी. दरअसल मेट्रो रूट की बाधाएं तो एक अलग बात है, लेकिन इसमें बड़ा मुद्दा बजट के इंतजाम का है.


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ऐसे समझिए आंकड़ा
बता दें कि 7 साल पहले 2014 में भोपाल मेट्रो की लागत 6941 करोड़ आंकी गई थी, लेकिन ये बढ़कर अब 9000 करोड़ होने का अनुमान जताया जा रहा है. क्योंकि इन 7 सालों में काफी बदलाव हुआ है, यहां तक के इस दौरान कंस्ट्रक्शन मटेरियल भी महंगा हुआ है. रुपयों के मुकाबले डॉलर भी मजबूत हुआ. अब साल दर साल जिस तेजी से पेट्रोलियम व अन्य चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं, ऐसे में प्रोजेक्ट लागत बढ़ने की आशंका साफ नजर आ रही है. ऐसी स्थिति में राज्य सरकार का बजट और मेट्रो के लोन आदि का गणित बिगड़ना स्वाभाविक है.


कमलनाथ के हाथों हुआ भूमिपूजन
दो साल पहले 26 सितंबर को तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भोपाल मेट्रो के लिए भूमिपूजन किया था. उस हिसाब से आज इस प्रोजेक्ट की औपचारिक शुरुआत को दो साल पूरे हो रहे हैं. जमीनी हकीकत यह है कि अब तक केवल 6.22 किमी के वर्क के अलावा कोई और काम शुरू नहीं हो सका है


मेट्रो का सियासी मुद्दा
भोपाल मेट्रो बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के लिए सियासी मुद्दा रहा है. बीजेपी भोपाल मेट्रो को भोपाल को अपनी सौगात बताती रही तो कमलनाथ ने इसे कांग्रेस पार्टी की सौगात बताते हुए कहा कि 2 साल पहले भोपाल मेट्रो का भूमि पूजन हमने किया था.


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क्या मेट्रो चुनाव पर असर डालेगी?
2023 तक भोपालियों को मेट्रो की सौगात मिले ना मिले पर 2023 में मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने है. ऐसे में मेट्रो निर्माण की धीमी रफ्तार सियासी पार्टियों के चुनावी रफ्तार पर जरूर असर डाल सकती है.


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