MP में एकल अभिभावक के रूप में बच्चों को गोद ले सकेंगे ट्रांसजेंडर, शिवराज सरकार ला रही नई नीति, मिलेंगी ये सुविधाएं
सामाजिक भेदभाव का शिकार बनते आ रहे ट्रांसजेंडर समुदाय को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए मध्य प्रदेश सरकार अब ट्रांसजेंडर नीति लेकर आ रही है. पढ़िए पूरी खबर..
भोपाल: सालों से सामाजिक भेदभाव का शिकार बनते आ रहे ट्रांसजेंडर (विपरीतलिंगियों) को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए शिवराज सरकार अब ट्रांसजेंडर नीति लेकर आ रही है. इसके तहत ट्रांसजेंडर को एकल अभिभावक के रूप में बच्चों को गोद लेने का अधिकार भी मिल सकेगा. इसके साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए राज्य सरकार द्वारा उन्हें निशुल्क कोचिंग उपलब्ध करायी जाएगी. नीति का मसौदा सामाजिक न्याय विभाग ने तैयार कर लिया है. राज्य सरकार की मंजूरी के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा.
ये सुविधाएं दी जाएंगी
ट्रांसजेंडर बच्चों को स्कूली शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति के साथ ही हॉस्टल की सुविधा दी जाएगी.
विभिन्न् पाठ्यक्रमों में उनके लिए कोटा तय किया जाएगा
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए निशुल्क कोचिंग भी करवाई जाएगी
कोई भी ट्रांसजेंडर जिला मजिस्ट्रेट के यहां आवेदन कर अपना पहचान पत्र बनवा सकेगा
स्वरोजगार स्थापित करने के लिए प्रशिक्षण और कर्ज दिलवाने में मदद की जाएगी
ट्रांसजेंडर पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले की तारीख 15 अप्रैल को ट्रांस डे मनाया जाएगा
ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड की स्थापना होगी
दरअसल, पूरे देश में लागू ट्रांसजेंडर (अधिकारों के संरक्षण) अधिनियम 2019 के क्रियान्वयन के लिए मध्य प्रदेश सरकार यह नीति बना रही है. इसमें जिलों में ट्रांसजेंडर्स कल्याण समिति की स्थापना की जाएगी और प्रदेश में ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड की स्थापना होगी. बोर्ड में सामाजिक न्याय विभाग के मंत्री, प्रमुख सचिव, अन्य महत्वपूर्ण विभागों के प्रमुख सचिव, ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता और गैर सरकारी संगठनों के लोग शामिल होंगे.
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दूसरे राज्यों से अलग होगी एमपी की नीति
सामाजिक न्याय विभाग के अधिकारियों के मुताबिक केरल और छत्तीसगढ़ में भी इस तरह की नीति लागू हो चुकी है. हालांकि इन राज्यों से मध्य प्रदेश की नीति थोड़ी अलग होगी. वहां ट्रांसजेंडर्स को विभिन्न सुविधाओं का लाभ दिलाने के लिए अंतिम अपीलीय अधिकारी कलेक्टर को बनाया गया है, जबकि एमपी में ट्रांसजेडर्स संभागीय आयुक्त से भी शिकायत कर सकेंगे.
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