Madhya Pradesh News In Hindi: मध्यप्रदेश के विदिशा जिले के ग्राम काला देव में दशहरे के अवसर पर राम रावण युद्ध की परंपरा है अनोखी है. रावण की सेना राम की सेना पर गोफन से पत्थर बरसाती है. राम रावण के इस युद्ध में खास बात यह हैं कि राम की सेना को रावण की सेना द्वारा बरसाए पत्थर नहीं लगते. कहते है कि यहां अच्छे-अच्छे निशानेबाजों की एक नहीं चलती. अच्छे से अच्छे गोफन चलाने वाले निशानेबाज कालादेव में असहाय नजर आते हैं. यहां बंदूक से भी अचूक गोपन से निशाना लगाने वाले भील व बंजारा समाज के लोग रावण की सेना बनते हैं और ग्राम कालादेव के निवासी श्री राम की सेना बनते हैं. इस युद्ध के दौरान रावण की सेना द्वारा मारा गया पत्थर अपनी दिशा बदल लेता है और किसी भी राम की सेना में शामिल लोगों को नहीं लगता.


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इस दशहरे में नहीं जलाया जाता रावण को
विदिशा जिले में लटेरी तहसील के ग्राम कालादेव में मनाए जाने वाले इस आयोजन में दशानन रावण को जलाया नहीं जाता. ग्राम कालादेव गांव में हर वर्ष दशहरे पर एक ऐसा आयोजन होता है, जिसे लोग चमत्कार मानते हैं. इस गांव में रावण की एक विशाल काय प्रतिमा स्थित है. इसके सामने एक ध्वज लगाया जाता है. यह ध्वजा श्री राम तथा रावण के युद्ध का प्रतीक होता है. राम की सेना ध्वज की परिक्रमा लगाता है, तो दूसरी ओर रावण की सेना पत्थर बरसाती है.


एक तरफ से पत्थर तो दूसरे तरफ से तीर
इस युद्ध के दौरान एक तरफ कालादेव के लोग श्री रामदल के रूप में आगे बढ़ते परिक्रमा लगाते हुए इस ध्वजा को छूने का प्रयास करते हैं तो वहीं दूसरी ओर रावण दल के लोग उन पर गोफन से पत्थरों की बरसात करते हैं. लेकिन चमत्कार की बात यह हैं कि, गोफन से निकले यह पत्थर रामदल के लोगों को नहीं लगते बल्कि मैदान से अपनी दिशा बदलकर निकल जाते हैं.


पत्थरों की बौछार में कोई नहीं होता घायल
मध्य प्रदेश के कालादेव मे इस तरह के दशहरे की यह परम्परा कब से चली आ रही है इसके बारे में कोई नहीं जानता. मान्यता यह है कि पत्थरों की इस बौछार में रामदल का कोई भी व्यक्ति घायल नहीं होता. सदियों पुरानी इस परम्परा में रावण की सेना का प्रतिनिधित्व आसपास के आदिवासी और बंजारा समाज के लोग करते हैं. आयोजन के प्रारंभ होने के पहले ही रावण की प्रतिमा के पास आदिवासियों द्वारा पत्थरों का ढेर लगाकर अपनी गोफन तैयार कर ली जाती हैं. पत्थरों के इस हमले में रामदल का कोई भी व्यक्ति घायल नहीं होता और वे राम की जय- जयकार कर अपने स्थान पर पहुंच जाते हैं.


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गांव में है रावण की विशाल प्रतिमा
भारत में दशहरा मनाने की लगभग एक जैसी परंपरा है. लेकिन विदिशा के कालादेव में अनूठे ढंग से यह त्यौहार मनाने की परंपरा है. इस गांव में रावण की एक विशाल स्थाई प्रतिमा दशहरा मैदान में स्थित है, जिसके समक्ष राम और रावण के दलो में युद्ध होता है. राम दल के विजयी होने पर हजारों की संख्या में उपस्थित लोग जीत का जश्र मनाते हैं और एक- दूसरे को दशहरा की बधाई देते हैं.


रिपोर्टर- दीपेश शाह