नई दिल्ली: लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण की वजह से देश-दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है. सभी जगह बस एक ही हॉट टॉपिक बना हुआ है कि आज कितने लोग संक्रमित हुए है, कितने सुरक्षित हैं और कितनों ने जान गवां दी है? सरकारें अपने स्तर पर कोरोना से लड़ने के तरीके अपना रही हैं. लोगों को ख़ुद को सुरक्षित रखने के लिए कहा जा रहा है, इस बीच इलाज से लेकर टेस्ट और वैक्सीन पर लगातार सवाल उठते जा रहे हैं. लोगों में बहुत सी शंकाएं पैदा हो रही हैं. कई लोगों कोविड वैक्सीन लगवाने से भी कतरा रहे हैं, तो कुछ मामूली संक्रमण में भी टेस्ट कराने पहुंच जा रहे हैं, जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए. सबसे ज़्यादा जरूरी है कि आप पहले सही जानकारी हासिल करें. हम आपको बताते हैं कि कौन से टेस्ट कब और कैसे करवाने चाहिए?


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कब टेस्ट करना चाहिए?
बुख़ार, बदन दर्द, गंध और स्वाद न आने पर, सांस लेने में तकलीफ होने पर.
नए लक्षण भी होने पर जैसे- आंखों लालिमा, गुलाबीपन, सुनने में कमी या लूज़ मोशन होने पर.
अगर आप किसी संक्रमित के संपर्क में आए हैं, 6 फ़ीट की दूरी पर या 15 मिनट से ज़्यादा संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आये हों.


कौन-सा टेस्ट करवाएं?
कोरोना टेस्ट के लिए आरटीपीसीआर टेस्ट (RTPCR) सबसे भरोसेमंद साबित हुआ है. इसलिए इसे गोल्ड माना जाता है. यह सबसे भरोसेमंद साबित हुआ है.
इसके अलावा रैपिड एंटीजन टेस्ट (Rapid Antigen Test) भी होता है जिसका नतीजा तुरंत आता है.
नोट:- अगर रैपिड एंटीजन टेस्ट पॉजिटिव है तो आप कोरोना पॉजिटिव हैं, लेकिन अगर आपका टेस्ट नेगेटिव है और फिर भी लक्षण दिख रहे हैं तो आप सही रिज़ल्ट पाने के लिए आरटीपीसीआर जरूर करवाएं.


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सीटी स्कोर और सीटी वैल्यू को भी जान लें
सीटी वैल्यू (CT Value) और सीटी स्कोर (CT Score) दोनों को समझना भी जरूरी है. इन दोनों का मतलब अलग-अलग है. सीटी वैल्यू साइकिल थ्रेशहोल्ड वैल्यू है जो शरीर में वायरल लोड बताती है. अगर सीटी वैल्यू 35 से कम है तो संक्रमण है और ये वैल्यू 22 से कम हो जाये तो भर्ती होने की जरूरत है. 23-39 तक यह ठीक मानी जाती है. डॉक्टर मरीजों को सीटी स्कैन की सलाह देते हैं ताकि संक्रमण कितना फैला है पता लगाया जा सके. इसमें सीटी स्कैन जितना ज़्यादा होगा संक्रमण उतना ज़्यादा होगा.


किसे नहीं कराना चाहिए टेस्ट?
अगर आपने वैक्सीन की दोनों डोज़ लगवा ली हैं और दो हफ्ते बीत चुके हैं, किसी तरह की कोई तकलीफ़ महसूस नहीं हो रही है. अब आपको खुद में कोई भी लक्षण नहीं दिख रहे हैं तो आपको टेस्ट की जरूरत नहीं है.


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घातक कोरोना के चार स्टेज कौन-कौन से हैं?
पहला- होम क्वारंटाइन या आइसोलेशन वार्ड
एसिम्टोमैटिक या बिना लक्षण वाले- किसी तरह की कोई तकलीफ़ न हो, सीटी स्कैन नॉर्मल हो, सिर्फ मामूली बुख़ार,थकान खांसी, नाकबंद, ख़राश, उल्टी पेट दर्द या डायरिया हो.


दूसरा- आइसोलेशन वार्ड/हॉस्पिटल/आईसीयू
बार-बार तेज़ बुखार आना, सीटी स्कैन में संक्रमण या घाव दिखने पर.


तीसरा-आईसीयू
92% से कम SpO2 या ऑक्सीज़न लेवल के साथ गंभीर निमोनिया हो जाने पर एडमिट होना.


चौथा- आईसीयू
गंभीर संक्रमण होना, एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम यानी फेफड़ों को सांस लेने में दिक्कत होना. इसके इलाज़ में फ्लूड मैनेजमेंट,ऑक्सीज़न और दवाएं शामिल होती है.


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ख़ुद को सुरक्षित कैसे करें?


  • कोविड की वैक्सीन लगवाएं.

  • कोरोना के जो भी इलाज दिए जा रहे हैं वो सिर्फ प्रायोगिक हैं. इसलिए ख़ुद को सुरक्षित रखें. ख़ुद को इस बीमारी से बचाकर रखें.

  • सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखें यानी दो गज़ दूरी बनाएं, साबुन से बार-बार हाथ धोते रहें या सैनिटाइजर का इस्तेमाल करते रहें, बिना मास्क के घर से बाहर न जाएं.