Plasma Therapy: कोरोना से बचाने में कितनी कारगर है प्लाज्मा थेरेपी? आसान भाषा में जानें सबकुछ...
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Plasma Therapy: कोरोना से बचाने में कितनी कारगर है प्लाज्मा थेरेपी? आसान भाषा में जानें सबकुछ...

आइए जानते हैं कि दुनिया के 20 से ज्यादा देशों में इस्तेमाल की जा रही ये थेरेपी आखिर कैसे कोरोना से बचाने में मदद करती है?

सांकेतिक तस्वीर

नई दिल्ली: कोरोना की दूसरी लहर ने देश में एक तरह से तबाही मचा रखी है. कोरोना संक्रमण के मामलों में हर दिन पुराना रिकॉर्ड टूट रहा है. देश में रोजाना रिकॉर्ड स्तर पर कोरोना संक्रमण के नए केस आ रहे हैं और सर्वाधिक मौत हो रही हैं. कोरोना काल में Covid-19 के मरीजों की जान बचाने के लिए प्लाज्मा थेरेपी (Plasma Therapy) भी वरदान साबित हो रही है. मौजूदा वक्त में बाजार में पहले से उपलब्ध दवाओं जैसे हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और रेमडेसिविर का दोबारा इस्तेमाल करने के अलावा डॉक्टर कोविड-19 के जोखिम और गंभीर लक्षण वाले मरीजों का इलाज करने के लिए प्लाज्मा थेरेपी का भी इस्तेमाल कर रहे हैं.

आइए जानते हैं कि दुनिया के 20 से ज्यादा देशों में इस्तेमाल की जा रही ये थेरेपी आखिर कैसे मदद करती है? इस प्रक्रिया के जरिए उन लोगों के खून से बीमार लोगों का इलाज किया जाता है, जो इंफेक्शन से ठीक हो चुके होते हैं. यानि वो कोरोना योद्धा जो वायरस को हराकर ठीक हो चुके हैं.

प्लाज्मा थेरेपी क्या है?

हेल्थ विशेषज्ञों के अनुसार प्लाज्मा रक्त का तरल भाग होता है, जिसमें लाल और श्वेत दोनों रक्त कणिकाएं और रंगहीन प्लेटलेट्स भी होते हैं, इसी में एंटीबॉडीज भी होती हैं. एंटीबॉडीज इस तरल पदार्थ में तैरती रहती हैं. इसीलिए इसे एंटीबॉडी थेरेपी भी कहा जाता है. किसी खास वायरस या बैक्टीरिया के खिलाफ शरीर में एंटीबॉडी तभी बनता है, जब इंसान उससे पीड़ित होता है. 

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कैसे काम करती है यह थेरेपी ?

हेल्थ विशेषज्ञों की मानें तो जो मरीज कोरोना से अभी अभी ठीक हुआ है, उसके शरीर में एंटीबॉडी बना होता है. जब कोरोना से ठीक होने वाला शख्स के खून में से प्लाज्मा निकाला जाता है और प्लाज्मा में मौजूद एंटीबॉडी जब किसी दूसरे मरीज में डाला जाता है तो बीमार मरीज में यह एंटीबॉडी पहुंच जाता है, वहां जैसे ही एंटीबॉडी जाता है मरीज पर उसका असर होता है और वायरस कमजोर होने लगता है, इससे मरीज के ठीक होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है. 

कौन डोनेट कर सकता है प्लाज्मा 

  1. कोरोना से ठीक होने वाले लोग प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं
  2. जिनकी उम्र 18 साल और 60 साल के बीच हो वह भी प्लाज्मा दान कर सकते हैं
  3. जिन लोगों का वजह 50 किलोग्राम या ज्यादा हो, जो स्वस्थ रूप से फिट हों.
  4. प्लाज्मा डोनर का हीमोग्लोबिन काउंट 8 से ऊपर होना अनिवार्य है.

ये लोग दान नहीं कर सकते प्लाज्मा 

  • जिनका वजन 50 किलो से कम है वह प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकते
  • जो महिला पूर्व में प्रेगनेन्ट रह चुकी हो वह भी प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकती
  •  कैंसर का मरीज प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकता
  • हाइपरटेंशन, ब्लड प्रेशर, हार्ट और किडनी से जुड़ी बीमारी वाले प्लाज्मा दान नहीं कर सकते.

कोरोना के किन मरीजों को प्लाज्मा  दे सकते हैं
डॉक्टरों का कहना है कि जिन मरीजों को प्लाज्मा दिया जा सकता है, उनके लिए भी दिशा-निर्देश हैं. सामान्य तौर पर वायरस से गंभीर रूप से प्रभावित और श्वसन के संक्रमण से पीड़ित मरीजों को प्लाज्मा दिया जा सकता है.

स्वस्थ होने की गारंटी है?
ऐसा माना जाना पूर्णत: सही नहीं होगा कि प्लाज्मा तकनीक स्वस्थ होने की गारंटी है. यह जरूरी नहीं है कि एक व्यक्ति पर अगर कोई दवाई असर करती है तो उसका एंटीबैक्टीरियल ट्रांसफ्यूजन दूसरे पर भी असर करेगा ही.

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