क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि, इस साल बन रहा है विशेष संयोग, जानें शुभ मुहूर्त
101 साल बाद इस महाशिवरात्रि पर एक विशेष संयोग बन रहा है. महाशिवरात्रि के दिन शिवयोग, सिद्धियोग और घनिष्ठा नक्षत्र का संयोग आने से त्योहार का महत्व और ज्यादा बढ़ गया है. इन शुभ संयोगों के बीच महाशिवरात्रि पर पूजा बेहद कल्याणकारी साबित होने वाली है.
नई दिल्ली: हमारे हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि को बहुत बड़ा दिन माना जाता है. इस दिन शिवभक्त पूरे विधि-विधान से महादेव की पूजा-अर्चना करते हैं. शिवरात्रि फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है. इस बार महाशिवरात्रि 11 मार्च यानी कल पड़ रही है.
क्यों मनाते हैं शिवरात्रि
शास्त्रों की माने तों महाशिवरात्रि की रात ही भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे. जिसके बाद से हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है. कहा ये भी जाता है कि मां पार्वती सती का पुनर्जन्म है. मां पार्वती शिवजी को पति के रूप में प्राप्त करना चाहती थी. इसके लिए उन्होंने शिवजी को अपना बनाने के लिए कई जत्न किए थे. लेकिन भोलेनाथ नहीं प्रसन्न हुए. जिसके बाद मां पार्वती ने त्रियुगी नारायण से 5 किलोमीटर दूर गौरीकुंड में कठिन साधना की थी और शिवजी को मोह लिया था. जिसके बाद इस दिन शिवजी और मां पार्वती का विवाह हुआ था. इसलिए कई कुंवारी लड़कियां शिवजी जैसे वर की मनोकामना के लिए इस दिन व्रत करती हैं.
101 साल बाद बन रहा है अदभुत् संयोग
ज्योतिषों के मुताबिक 101 साल बाद इस महाशिवरात्रि पर एक विशेष संयोग बन रहा है. महाशिवरात्रि के दिन शिवयोग, सिद्धियोग और घनिष्ठा नक्षत्र का संयोग आने से त्योहार का महत्व और ज्यादा बढ़ गया है. इन शुभ संयोगों के बीच महाशिवरात्रि पर पूजा बेहद कल्याणकारी साबित होने वाली है.
ऐसे करें पूजा
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव दूध, गंगाजल, शहद, दही या घी से अभिषेक करने से भगवान शिव की कृपा बनी रहती है. इस दिन सुबह, दोपहर, शाम और रात इन चारों प्रहर में रुद्राष्टाध्यायी पाठ के साथ भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं. भक्त रुद्राष्टाध्यायी का पाठ या केवल 'ॐ नमः शिवाय' का जाप करते हुए भोलेनाथ का अभिषेक कर सकते हैं.
महाशिवरात्रि के दिन इन बातों का रखें ख्याल
महाशिवरात्रि के दिन भूलकर भी किसी का अपमान ना करें. माता-पिता, गुरू,पत्नी, स्त्री, बड़े-बुजुर्गों या पूर्वजों को सम्मान देना चाहिए. शराब या मांस-मछली का सेवन भूलकर भी ना करें.
शुभ मुहूर्त
इस बार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 11 मार्च दोपहर 02 बजकर 39 मिनट से आरंभ होकर 12 मार्च को दोपहर 03 बजकर 02 मिनट तक रहेगा.
पूजा के लिए साम्रगी
महाशिवरात्रि की पूजा बेलपत्र, भांग, धतूरा, गाय का कच्चा दूध, चंदन, रोली, कपूर, केसर, दही, घी, मौली, अक्षत (चावल), शहद, शक्कर, पांव प्रकार के मौसमी फल, गंगा जल, जनेऊ, वस्त्र, इत्र, कनेर पुष्प, फूलों की माला, खस, शमी का पत्र, लौंग, सुपारी, पान, रत्न, आभूषण, परिमल द्रव्य, इलायची, धूप, शुद्ध जल, कलश आदि से करें. इससे भगवान शिव प्रसन्न होंगे.
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