कोलकाताः पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद जिला बंगाल चुनाव में काफी अहम साबित होने जा रहा है. मुस्लिम बहुल इस जिले में कांग्रेस का दबदबा रहा है. हालांकि वाम मोर्चा की भी इस इलाके में काफी पकड़ है. इस बार फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी के अपनी पार्टी बनाकर चुनाव मैदान में उतरने के कारण मुर्शिदाबाद की लड़ाई और भी रोचक हो गई है. 


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जानिए क्यों है अहम
मुर्शिदाबाद जिले में विधानसभा की 22 सीटें हैं. 2016 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और वाम मोर्चा के गठबंधन ने यहां 18 सीटों पर जबरदस्त जीत हासिल की थी. अकेले कांग्रेस ने 14 सीटों पर जीत का परचम लहराया था. इस बार तो अब्बास सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट का भी साथ इन दोनों पार्टियों को मिलने जा रहा है. ऐसे में माना जा रहा है कि मुर्शिदाबाद में यह गठबंधन काफी अहम साबित होगा.


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हालांकि 2019 के आम चुनाव में मुर्शिदाबाद की तीन लोकसभा सीटों में से दो सीटों पर टीएमसी ने कब्जा जमाया था. वहीं भाजपा का वोट प्रतिशत भी यहां बढ़ा है. इस बार मुर्शिदाबाद की चर्चा ज्यादा इसलिए भी है क्योंकि यहां पर मुस्लिम वोटों के रुझान का पता चल सकता है, जो टीएमसी के लिए काफी अहम होगा. 


फुरफुरा शरीफ पीरजादा वर्सेस टीएमसी की लड़ाई के लिए अहम
मुर्शिदाबाद जिले की कुल आबादी में से 75 फीसदी आबादी मुस्लिम है. हालांकि ये आबादी दो खेमों में बंटी हुई नजर आ रही है. दरअसल कुछ लोग ममता बनर्जी की टीएमसी के समर्थन में हैं और कुछ फुरफुरा शरीफ पीरजादा की पार्टी का भी समर्थन कर रहे हैं. वाम मोर्चा और कांग्रेस का तो यहां प्रभाव है ही. ऐसे में देखने वाली बात होगी कि मुस्लिम मतदाता यहां किसका साथ देते हैं? .


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अगर यहां मुस्लिम मतदाता इंडियन सेक्युलर फ्रंट का साथ देते हैं तो यकीनन टीएमसी के लिए यह तगड़ा झटका होगा और पूरे प्रदेश में इसका असर हो सकता है. मुस्लिम वोट बैंक टीएमसी और आईएसएफ के बीच बंट सकता है, जिसका फायदा बीजेपी उठा सकती है. हालांकि यह असर काफी सीमित रहेगा क्योंकि मुर्शिदाबाद में सातवें चरण में 26 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे. वहीं अनुमान लगाया जा रहा है कि टीएमसी, कांग्रेस-वाम मोर्चा, आईएसएफ की लड़ाई में भाजपा भी मुर्शिदाबाद में फायदा उठा सकती है.