भोपाल: मध्यप्रदेश की राजनीति में अक्सर चर्चा में रहने वाले स्वामी नामदेव त्यागी उर्फ कंप्यूटर बाबा का मुश्किल दौर लगता है अब शुरू हो गया है. रविवार को इंदौर जिला प्रशासन और नगर निगम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए ग्राम जमूड़ी हप्सी में बाबा को गिरफ्तार कर लिया है. उनके आश्रम को भी ध्वस्त कर दिया गया है. एक सामान्य व्यक्ति से कंप्यूटर बाबा बने नामदेव त्यागी ने कैसे मध्यप्रदेश की राजनीति में अपना कद बढ़ाया. सरकार की आंख में वो क्यों चढ़े, इसके पीछे की कहानी भी दिलचस्प है.


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दरअसल, प्रदेश में कंप्यूटर बाबा के नाम से प्रसिद्ध नामदेव त्यागी इंदौर शहर के रहने वाले हैं. वह दिगंबर अखाड़ा के सदस्य हैं. बताया जाता है कि 1998 में नरसिंहपुर में एक कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ साधु-संतों ने नामदेव महाराज की तेज कार्यशैली को देखते हुए उनका नाम कंप्यूटर बाबा रख दिया था.


कंप्यूटर बाबा के बाद अब नरसिंहपुर के इस दुराचारी बाबा के खिलाफ हुई कार्रवाई


कैसे बढ़ा कंप्यूटर बाबा का कद?
नरसिंहपुर से कंप्यूटर बाबा को एक अलग पहचान मिली. वो जहां भी जाते उनके साथ एक लैपटॉप जरूर रहता है. उनके बारे में मालवा के लोग यह भी बताते हैं कि कंप्यूटर बाबा एक सामान्य बाबा की तरह ही थे, लेकिन उनकी एक भविष्यवाणी ने उन्हें शोहरत दिलाने का भी काम किया. दरअसल, इंदौर का एक किसान अपनी भूमि बेचने का विचार कर रहा था तभी उसे कंप्यूटर बाबा ने कुछ समय जमीन न बेचने की सलाह दी. उस किसान ने वैसा ही किया और कुछ समय बाद ही उसकी जमीन एक सरकारी प्रोजेक्ट के लिए सरकार ने अधिगृहित कर ली, जिसके लिए उसे कई गुना ज्यादा मुआवजा मिला. कहा जाता है कि वह व्यक्ति बाबा का अनुयायी बन गया और उसने बाबा को दान भी दिया था. हालांकि, यह दान कितना था इसके बारे में कोई आधिकारिक तौर पर जानकारी नहीं है. हालांकि यह कहानी कितनी सच है यह भी नहीं कह सकते. लेकिन यहां से कंप्यूटर बाबा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और इंदौर में उनका वर्चस्व इसके बाद लगातार बढ़ता चला गया. बाबा जिस विषय से सहमत नहीं होते, उस पर बेबाकी से प्रतिक्रिया देने में देरी नहीं करते. यहां तक की अलग-अलग मुद्दों के लिए तीन नामी कलेक्टर के खिलाफ भी बाबा मोर्चा खोल चुके हैं.



महामंडलेश्वर: लैपटॉप लेकर चलते हैं, हेलिकॉप्टर का शौक
महामंडलेश्वर कंप्यूटर बाबा कुटिया में रहते हैं, लेकिन लैपटॉप, फेसबुक और हेलिकॉप्टर का शौक रखते हैं. वे हेलीकॉप्टर से सफर और फेसबुक पर भक्तों से चैट कर आनंद लेते हैं. हेलिकॉप्टर से कंप्यूटर बाबा को ज्यादा लगाव है. उन्होंने 2011 में मालवा महाकुंभ और 2012 में विदिशा में धार्मिक आयोजन के लिए हेलिकॉप्टर से लगातार कई दिन तक पर्चे बांटे थे. हेलिकॉप्टर का शौक उन्हें इस कदर है कि कमलनाथ सरकार से उन्होंने 2019 में खुलेतौर पर नर्मदा नदी से जुड़ा काम करने के लिए हेलिकॉप्टर की मांग कर दी थी.


सन्यासी से राजनीति में एंट्री
कंप्यूटर बाबा का राजनीति की तरफ झुकाव तो पहले से था, लेकिन 2014 में उन्होंने पहली बार खुलकर अपनी इच्छा जाहिर की. उस वक्त नई नवेली बनी आम आदमी पार्टी से उन्होंने टिकट की मांग की थी, लेकिन बात ज्यादा आगे बढ़ नहीं पाई और उनका दिल्ली पहुंचने का सपना पूरा नहीं हो पाया.



RSS को बताया था भगवा ब्रिगेड
2014 में ही एक बार फिर वो उस वक्त चर्चा में आए जब ऐसा लग रहा था कि वो आरएसएस या बीजेपी ज्वॉइन कर सकते हैं, लेकिन उन्होंने यह कहकर सारी संभावनाओं को खारिज कर दिया कि भगवा ब्रिगेड ने केवल साधुओं का शोषण किया और कुछ नहीं.


आमिर खान की पीके का किया था विरोध
2015 में भी कंप्यूटर बाबा ने खूब सुर्खियां बटोरीं थीं. दरअसल, इसी साल आमिर खान की फिल्म पीके रिलीज हुई थी जिसका उन्होंने खूब विरोध किया और यह कहते हुए फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर दी कि फिल्म ने हिंदू धर्म का मजाक उड़ाया है.



शिवराज सरकार का विरोध तो मिला मंत्री पद
2014 में संसद नहीं पहुंच पाए कंप्यूटर बाबा की राजनैतिक महत्वाकांक्षाएं 2018 आते-आते एक बार फिर हिलोरे मारने लगीं. 2018 के अंत में मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने थे. मार्च 2018 में कंप्यूटर बाबा ने सरकार को बड़ा झटका देते हुए यह घोषणा कर दी कि वो 1 अप्रैल से प्रदेश में नर्मदा रथ यात्रा शुरू करेंगे जो 45 दिनों तक चलेगी. दरअसल, कंप्यूटर बाबा के यह यात्रा करने का मुख्य मकसद कथित तौर पर सरकार द्वारा लगाए गए पौधों में हुए भ्रष्टाचार को उजागर करना था. हालांकि, इस यात्रा के शुरू होने से एक दिन पहले ही यानी 31 मार्च को उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय आने का न्यौता मिल गया जिसका नतीजा यह हुआ सरकार ने कंप्यूटर बाबा समेत पांच बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया. इसके बाद सरकार ने एक समिति बनाई जिसको काम दिया गया की वो नदी के किनारे वृक्षारोपण, संरक्षण और स्वच्छता अभियान चलाएंगे. विडंबना देखिए कंप्यूटर बाबा ने जिस योजना में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था बाद में उसी की जिम्मेदारी उन्हें मिल गई.



दिग्विजय सिंह की जीत के लिए किया था यज्ञ
हालांकि यह पद उन्हें ज्यादा रास नहीं आया और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया शायद उन्हें बीजेपी के सरकार के बाहर होने और कांग्रेस के सत्ता में आने का आभास हो गया था. धीरे-धीरे कांग्रेस से उनकी नजदीकी बढ़ी जिसका फायदा भी उन्हें मिला और कमलनाथ सरकार ने उन्हें लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से कुछ घंटों पहले मां नर्मदा, मां क्षिप्रा और मंदाकनी नदी न्यास का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है. इसके बाद कंप्यूटर बाबा ने 2019 लोकसभा चुनाव में खुलकर कांग्रेस के लिए प्रचार किया. भोपाल सीट पर चुनाव लड़ रहे दिग्विजय सिंह के लिए तो उन्होंने बाकायदा यज्ञ का भी आयोजन किया.



कांग्रेस ने बताया बदले की कार्रवाई
कंप्यूटर बाबा लंबे समय से मध्यप्रदेश में सक्रिय हैं. इस दौरान कांग्रेस और बीजेपी दोनों की सरकार प्रदेश में रही, लेकिन कंप्यूटर बाबा पर कभी ऐसी कार्रवाई नहीं देखने को मिली जैसी रविवार हुई. इस कार्रवाई को कांग्रेस ने तो सीधे तौर पर बदले की कार्रवाई बताया है, क्योंकि उपचुनाव के दौरान भी कंप्यूटर बाबा ने 28 सीटों पर कांग्रेस के समर्थन में यात्रा की थी. एक तरफ कंप्यूटर बाबा जहां बीजेपी की महत्वकांक्षी योजनाओं में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हैं तो वहीं कांग्रेस के लिए वो एक सॉफ्ट हिंदुत्व की छवि बनाते दिखाई देते हैं वहीं साधु संतों को एकजुट कर भाजपा की हिंदुत्व वाली छवि को भी चोट पहुंचाते हैं. अब बाबा की अवैध संपत्ति को लेकर भाजपा सरकार ने कार्रवाई की है.


(इनपुट- लोकेंद्र त्यागी)


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