Madhya Pradesh Elections: राज्यों के विधानसभा चुनावों को लेकर सरगर्मियां बढ़ गईं हैं. इसी कड़ी में बीजेपी ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की अपनी दूसरी सूची भी जारी कर दी है. 39 उम्मीदवारों की इस सूची में 7 सांसदों को टिकट दिया है, जिसमें तीन केंद्रीय मंत्री हैं. इनमें प्रहलाद पटेल, नरेंद्र सिंह तोमर और फग्गन सिंह कुलस्ते मोदी सरकार में मंत्री हैं. शायद यह अपने आप में अजूबा है जब केंद्रीय मंत्री सांसद और पार्टी के बड़े-बड़े नेताओं को विधानसभा चुनाव के लिए मैदान में उतार दिया गया है. आइए इसके पीछे का कारणों को समझते हैं. जानकार यह भी कह रहे हैं कि बीजेपी ने 'बंगाल मॉडल' के सहारे अब मध्य प्रदेश विधानसभा का भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली है. वहीं अब ऐसा भी हो सकता है कि पार्टी शिवराज सिंह चौहान के विकल्प की तलाश में है.


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बीजेपी ने बड़े चेहरों पर दांव लगाया
दरअसल, मध्य प्रदेश की राजनीति पर बारीक नजर रखने वालों का मानना है कि करीब डेढ़ दशक से शासन कर रही बीजेपी को वहां एंटी इंकम्बेंसी का भी डर सता रहा है. तो वहीं कई जगहों पर कार्यकर्ताओं के बीच तालमेल की भी कमी देखी जा रही है. इसी के चलते बीजेपी ने बड़े चेहरों पर दांव लगाया है. मसलन जिन सीटों से केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को उतारा गया है वे अपनी और अपने आसपास की सीटों को भी जितवाने का माद्दा रखते हैं. हालांकि यह कोई पहला मौका नहीं है जब बीजेपी ने किसी राज्य के चुनाव में केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों पर दांव लगाया हो. 


यह कोई पहला मौका नहीं
इससे पहले बीजेपी ने बंगाल में भी कुछ ऐसा ही किया था. पश्चिम बंगाल के चुनाव में भी बीजेपी ने बाबुल सुप्रियो के साथ ही सांसद लॉकेट चटर्जी और निशिथ प्रमाणिक समेत पांच सांसदों को उम्मीदवार बनाया था. तत्कालीन केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो, लॉकेट चटर्जी और राज्यसभा सांसद स्वपन दासगुप्ता को हार मिली. निशिथ प्रमाणिक 57 वोट के करीबी अंतर से चुनाव जीतने में सफल रहे थे और जगन्नाथ सरकार ने भी अपनी सीट निकाली. इस चुनाव में बीजेपी के कुछ उमीदवार हारे जरूर लेकिन ओवरआल पार्टी को फायदा ही हुआ था. पश्चिम बंगाल में बीजेपी की सीटों में जबरदस्त इजाफा हुआ था. 


नैया पार लगाने की जुगत
अब इसी बंगाल मॉडल के सहारे बीजेपी मध्य प्रदेश में भी अपनी नैया पार लगाने की जुगत में है. बीजेपी ने नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते को मध्य प्रदेश के चुनाव में उतार दिया है. कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये सब शिवराज सिंह चौहान के कद के नेता माने जाते हैं. और चुनाव बाद यदि बीजेपी सत्ता बरकरार रखने में कामयाब हुई तो ऐसा भी हो सकता है कि मुख्यमंत्री पद के लिए इस बार रस्साकशी अधिक देखने को मिलेगी. फिलहाल अब जो भी होगा चुनाव का समीकाण दिलचस्प होता दिख रहा है.