श्रीकांत राऊत, वर्धा: मजहबी एकता की अनोखी मिसाल महाराष्ट्र के वर्धा में देखने को मिलती है. यहां एक मुस्लिम परिवार चर्च का रखरखाव करता है. वह भी तीन पीढ़ियों से. पूरा खान परिवार चर्च की सेवा में लगा है. इसके लिए वह एक पैसा भी मेहनताना नहीं लेता. वर्धा के जीएस कॉमर्स कॉलेज रोड पर 150 साल पुराना चर्च है. अंग्रेजों ने इस चर्च को बनाया था.


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पत्थरों से बना इस इलाके का यह सबसे बड़ा चर्च है. पिछले तीन पीढ़ियों से खान परिवार इस चर्च की सेवा कर रहा है. चर्च के रखरखाव के साथ-साथ हर रविवार को होने वाले धार्मिक कार्यक्रम की पूरी तैयारी खान परिवार करता है. मोहसिन खान के पिता वर्धा आए थे तो उन्‍हें चर्च में पनाह मिली. तब से यह परिवार यहीं पर रहता है. चर्च की सेवा करता है.


मोहसिन खान ने बताया कि उनके पिता काम की तलाश में वर्धा आए थे. रहने के लिए कुछ भी नहीं था तो चर्च में रहने लगे. कुल मिलाकर आठ लोगों का परीवार यहीं गुजर-बसर करने लगा. दिन में जो काम मिले वही करना और शाम को चर्च की सेवा करना यह उनके पिता की दिनचर्या थी. बस उसके बाद बहनों की शादी हो गई, भाई नौकरियों के चक्‍कर में अलग-अलग इलाकों में रहने चले गये. वह अब भी वहीं रहते हैं. मोहसिन का चार लोगों का परिवार है. वह आज भी चर्च की सेवा में लगा है.


मोहसिन खान की बीवी रुखसार ने कहा कि यह चर्च उनका घर है और वह चर्च को अपने घर जितना ही साफ-सुधरा रखती हैं.

रिक्‍शा चलाते हैं मोहसिन
मोहसिन रिक्‍शा चलाते हैं. जो आमदनी होती है उससे चार लोगों के परिवार का गुजारा होता है. मोहसिन खान की बीवी रुखसार खान ने कहा कि परिवार को खाने-पीने की कोई तकलीफ नहीं है. उनके ससुर ने इस चर्च में पनाह ली थी. इसके बाद मानों यह चर्च उनका घर है और वह चर्च को अपने घर जितना ही साफ-सुधरा रखती हैं. इतने बड़े चर्च की रोज साफ-सफाई की जाती है. क्रिसमस के वक्त पूरे चर्च की पुताई भी होती है. नया रंग लगाया जाता है. यह सभी मोहसिन का परिवार ही करता है. रुखसार कहती हैं कि यह सब कुछ करने से उन्‍हें सुकून मिलता है.


पहले हुआ था विरोध
मोहसिन ने बताया कि शुरुआती दिनों में उनके समाज से ही चर्च मे रहने और वहां काम करने का विरोध हुआ था. लेकिन उनके पिता ने समाज के लोगों को समझाया. मोहसिन कहते हैं कि ईश्‍वर, अल्‍लाह, यीशु सभी भगवान हैं. किसी एक की सेवा से सभी की प्रार्थना का पुण्य मिलता है. तो मैं मेरे परीवार के लिए पुण्य कमा रहा हूं. इसमें आनंद आता है. बड़ी शांति मिलती है. सुकून मिलता है.


मोहसिन ने अपने बच्‍चों को भी चर्च की सेवा में लगाया है. अब खान परिवार की तीसरी पीढ़ी भी चर्च की सेवा में जुट गई है.