मुंबई: नागरिकता कानून का विरोध कर पुलिस की नौकरी छोड़ने वाले आईपीएस अफसर अब्दुल रहमान को महाराष्ट्र सरकार अहम पद देने पर उतारू हैं. हालांकि सूबे की उद्धव ठाकरे की यही सरकार उन अफसरों को दंडित कर रही है जो सत्तारूढ़ दलों की कार्यशैली के खिलाफ हैं. महाराष्ट्र सरकार ने सीएए के खिलाफ रहे आईपीएस अफसर रहमान को सरकार मे काम करने की पेशकश की है. वहीं संघ समर्थक करार देकर मुंबई यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर योगेश सोमन को ठाकरे सरकार ने जबरन छुट्टी पर भेज दिया है. सरकार के इस दोहरे कदम पर विपक्षी दल ने सियासी हमला किया है.


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महाराष्ट्र के विवादित आईपीएस अफसर अब्दुल रहमान पर महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार बेहद मेहरबान है. ये वही पुलिस अफसर है जिन्होंने संसद में नागरिकता कानून पास होते ही सीएए के खिलाफ बयानबाजी कर केंद्र सरकार को कटघरे मे खड़ा करके इस्तीफा दे दिया था. महाराष्ट्र में शिवसेना गठबंधन की सरकार की ताजपोशी होते ही अब इसी आईपीएस अफसर को सूबे की सरकार अहम कुर्सी थमाने की कोशिश में हाथ-पांव मार रही है. रहमान को अल्पसंख्यक मंत्रालय में वक़्फ़ बोर्ड का सीईओ बनाने की कोशिश जारी है.  


हालांकि यही उद्धव ठाकरे सरकार महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ दल की नीतियों पर सवाल खडा करने वाले मुंबई यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर को सजा के तौर पर उसे आरएसएस समर्थक करार देकर जबरन छुट्टी पर भेज दिया है. महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नवाब मलिक ने माना कि "हाँ हमने पेशकश की है कि अब्दुल रहमान को सरकार मे काम करने की"


महाराष्ट्र सरकार के इस दोहरे मापदंड पर बीजेपी ने तीव्र विरोध दर्ज कराया है. महाराष्ट्र के पूर्व शिक्षा मंत्री आशीष शेलर ने सीएम उद्धव ठाकरे की खत लिखकर सूबे की सरकार से तीखे सवाल पूछे हैं. विपक्षी दल उद्धव ठाकरे सरकार से पूछ रहा है "केंद्र सरकार ने पास किए क़ानून का विरोध करने वालों का ऐसा सम्मान करना ठीक नहीं. CAA का विरोध अगर मापदंड है तो फिर पाकिस्तान ने भी इसका विरोध किया था फिर वहां के लोगों को भी महामंडल दे दीजिये. 


आशीष शेलार का कहना है कि CAA क़ानून को देश की सांसद ने चर्चा के बाद पास किया इस क़ानून पर राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर किए हैं, सुप्रीम कोर्ट ने अब तक इस पर कोई फ़ैसला नहीं सुनाया है. ऐसे में इसका विरोध करने वालों को ऐसा तौफ़ा दिया जाना ग़लत है. इससे देश में माहोल बिगड़ सकता है.