Maharashtra Political Crisis: शिवसेना का बीजेपी पर निशाना, कहा- बागी विधायकों को दिखाया गया ED का डर
Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र संकट के बीच शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए बीजेपी पर निशाना साधा है. संपादकीय लेख में कहा गया है बागी हुए विधायकों को ED का डर दिखाया गया और उन्हें जबरदस्ती मार पीट कर गुवाहाटी में रखा गया है.
Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र के सियासी संकट के बीच शिवसेना ने अपने मुख पत्र सामना (Saamana) के माध्यम से बीजेपी पर निशाना साधा है. सामना के संपादकीय लेख में कहा गया कि इन दिनों असम के गुवाहाटी में योग शिविर चल रहा है. बीजेपी का निशाना साधते हुए लेख में सवाल किया गया कि अगर बीजेपी के पास महाशक्ति है तो वो कश्मीर में पंडितों की हत्या और उनके पलायन को क्यों नहीं रोक पा रही?
सामना के जरिए बीजेपी पर निशाना
लेख में आगे कहा गया कि होटल में बंद कमरे में बैठे विधायकों को देश में क्या चल रहा है इसकी खबर नहीं. वहीं एक बार फिर बीजेपी पर केंद्र जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए संपादकीय में कहा गया कि बागी हुए विधायकों को ED का डर दिखाया गया और उन्हें जबरदस्ती मार पीट कर गुवाहाटी में रखा गया है. तंज कसते हुए लेख में सवाल किया गया की अगर बीजेपी एक महाशक्ति है तो देश में भर हुए अग्निवीर आंदोलन को क्यों नहीं रोक सकी, जबकि महाराष्ट्र में ऐसी एक भी हिंसक घटना सामने नहीं आई और यह उद्धव ठाकरे की कार्यशैली को दर्शाता है.
'बागी विधायकों की व्यवस्था कर रही बीजेपी'
संपादकीय में कहा गया की सत्ता स्थापित करने के लिए बीजेपी लोगों को फोड़ती है, खरीदती है, विधायकों का बाजार सजाती है इस प्रवृत्ति के खिलाफ अब देश एकजुट होने लगा है. लेख में कहा गया, 'असम में योग शिविर में जो करीब 40 योगार्थी हैं, वे कौन और कहां से आए हैं यह भी अब पूरे हिंदुस्तान को पता चल गया है. शिवसेना के भगाकर लाए गए करीब 40 विधायक गुवाहाटी में हैं. उनकी कड़ी व्यवस्था बीजेपी कर रही है.
'कश्मीर से हिंदुओं को करना पड़ता है पलायन'
संपादकीय में आगे कहा गया है कि खुद को हिंदुत्ववादी कहने वाली सरकार दिल्ली में होने के दौरान कश्मीर से हिंदुओं को पलायन करना पड़ता है, क्या यही तुम्हारी महाशक्ति है? पाकिस्तान को वास्तव में सबक सिखाया होता तो कश्मीर की भूमि से हिंदू रक्त की धार बहती नहीं दिखी होती. ‘रेडिशन ब्लू’ के योग शिविर के दरवाजे-खिड़कियां बंद हैं. खुली हवा नहीं आती है और शिविरार्थी कोमा जैसी अवस्था में पड़े हैं.
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