Eknath Shinde: महाराष्ट्र विधानसभा के नतीजों का ऐलान 23 नवंबर को किया गया था लेकिन अभी तक शपथ ग्रहण समारोह नहीं हुआ. कहा जा रहा है कि 5 दिसंबर को शपथ ली जा सकती है. हालांकि अभी तक मुख्यमंत्री के नाम सामने नहीं आया है. ऐसे में महायुति पर सवाल उठने लगे हैं कि आखिर इनती देरी की क्या वजह है? गठबंधन के अंदर सबकुछ ठीक नहीं है? या फिर कोई और मसला है? क्योंकि अगर भाजपा अपना मुख्यमंत्री बनाती है तो क्या एकनाथ शिंदे डिप्टी मुख्यमंत्री बनेंगे या फिर शिंदे के कद को बरकरार रखने के लिए भाजपा कुछ और करेगी?


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दरअसल महाराष्ट्र विधानसभा एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में लड़ा गया और महायुति गठबंधन की तीनों बड़ी पार्टियों ने शानदार प्रदर्शन भी किया. ऐसे में चुनाव में जीत के बाद एकनाथ शिंदे के रोल को लेकर तमाम तरह के सवाल उठने लगे हैं. भारतीय जनता पार्टी ने 132, एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 57 और अजित पवार की एनसीपी ने 41 सीटों पर जीत दर्ज की है. सबसे बड़ी पार्टी होने की वजह से भाजपा अपना मुख्यमंत्री बनना चाहती है, हालांकि एकनाथ शिंदे के समर्थक भी यही चाहते हैं कि भाजपा महाराष्ट्र में 'बिहार मॉडल' लागू करते हुए शिंदे को ही मुख्यमंत्री बने रहने देना चाहिए, लेकिन एकनाथ शिंदे ने पिछले दिनों प्रेस कांफ्रेंस साफ कर दिया कि उन्हें भाजपा का मुख्यमंत्री बनने से कोई दिक्कत नहीं. 


'शिंदे का कद कायम रखना दिल्ली की जिम्मेदारी'


एकनाथ शिंदे की प्रेस कांफ्रेंस के बाद से तय माना जा रहा है कि महाराष्ट्र में भाजपा का ही मुख्यमंत्री होगा, लेकिन सवाल इसके बाद सवाल उठ रहा है कि एकनाथ शिंदे के कद को कायम रखने के लिए भाजपा क्या करेगी? इस बारे में शिंदे के सहयोगी और पूर्व राज्यमंत्री दीपक केसरकर का कहना है कि यह भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व पर निर्भर करता है कि वह कैसे उनका कद कायम रखता है. केसरकर ने शिंदे के योगदान को उचित मान्यता दी जानी चाहिए. केसरकर ने कहा,'हमारे नेता ने पहले ही साबित कर दिया है कि शिवसेना का असली प्रतिनिधित्व कौन करता है. अब यह दिल्ली (भाजपा केंद्रीय नेतृत्व) पर निर्भर करता है कि वह कैसे उनका कद बरकरार रखते हैं. हम उस फैसले में दखल नहीं करेंगे.'


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'शिंदे की वजह से नहीं हो रही देर'


राज्य में सरकार गठन में हो रही देरी पर किए गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा,'पांच दिसंबर को शपथ ग्रहण समारोह होना है, लेकिन कई बेबुनियाद अफवाहें फैलाई जा रही हैं कि एकनाथ शिंदे की वजह से सरकार गठन में देरी हो रही है. जबकि ऐसा कुछ नहीं है.' उन्होंने आगे कहा,'भाजपा की आंतरिक चयन प्रक्रिया उनका मामला है. शिंदे पहले ही बता चुके हैं कि वे उनके ज़रिए लिए गए किसी भी फैसले को स्वीकार करेंगे.' केसरकार ने महायुति के भीतर असंतोष या मतभेद की खबरों को भी खारिज कर दिया. 


शिंदे के लिए क्या-क्या हो सकते हैं विकल्प?


कहा तो कुछ भी नहीं जा सकता लेकिन शिंदे के कद को कायम रखने के लिए ढाई-ढाई साल वाला फॉर्मूला हो सकता है. इसके अलावा शिंदे को केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाने की चर्चाएं भी तेज हुई थीं. हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्टस में दावा किया गया है कि शिंदे केंद्र वाला ऑफर ठुकरा चुके हैं. वहीं तीसरा विकल्प महायुति के संयोजक के तौर पर हो सकता है. अब देखते हैं कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व एकनाथ शिंदे को लेकर क्या फैसला लेता है.