Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र की सियासत में आज सबसे बड़ा सवाल यही है कि जिस भतीजे अजित पवार (Ajit Pawar) को एनसीपी का अमिताभ बच्चन कहा जा रहा था. उसी ने कैसे अपने ही चाचा शरद पवार (Sharad Pawar) का सियासी टाइम खराब कर दिया. अजित पवार रविवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) को तोड़कर एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) सरकार में शामिल हो गए और उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इसके बाद यह सवाल उठने लगा है कि आखिर अजित पवार की बगावत की असली वजह क्या है. तो चलिए हम आपको बताते हें कि कि अजित पवार की बगावत के पीछे की INSIDE STORY क्या है.


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अजित पवार ने अपने चाचा और पार्टी से क्यों की बगावत?


आखिर अजित पवार (Ajit Pawar) की बगावत के पीछे की असली वजह क्या है? सवाल ये भी उठ रहे हैं कि कहीं इस पूरे सियासी खेल के  पीछे महाराष्ट्र की राजनीति के चाणक्य यानी शरद पवार (Sharad Pawar) का ही तो हाथ नहीं है, लेकिन असलियत क्या है? अजित पवार ने एक झटके में मराठा छत्रप शरद पवार की सियासत को बदल दिया. कल तक जिसे महाराष्ट्र की सियासत का चाणक्य कहा जाता था, वो भतीजे के दांव से अकेला खड़ा नजर आ रहा है.


एनसीपी में घटती हैसियत हो सकती है सबसे बड़ी वजह


अजित पवार (Ajit Pawar) की बगावत के पीछे सबसे बड़ी वजह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) उनकी घटती हैसियत हो सकती है. वह अपनी घटती हैसियत से खुश नहीं थे, लेकिन सवाल यह है कि आखिर क्या वजह है कि उन्होंने अचानक ही पार्टी तोड़ने का फैसला कर लिया. आज के घटनाक्रम के बाद हो रही सियासी बयानबाजियों से एक तस्वीर उभर रही है, जिससे सामने आ रही है वो इनसाइड स्टोरी जो इस बगावत की वजह बनी.


अजित पवार ने क्यों की चाचा से बगावत?


दरअसल, अजित पवार (Ajit Pawar) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में साइडलाइन होने से खुश नहीं थे. पार्टी में सुप्रिया सुले (Supriya Sule) का बढ़ता कद उनकी परेशानी की वजह था. इसके साथ ही वह राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के नेतृत्व में विपक्षी एकता से भी नाराज थे. बता दें कि शरद पवार (Sharad Pawar) 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए लगातार विपक्षी एकता को मजबूत करने की कोशिश में जुटे थे. वहीं, शरद पवार ने अजित पवार की बगावत के पीछे केस का डर बताया है.


इन 3 बड़ी वजहों की वजह से अजित पवार ने की बगावत


ये कोई छिपी बात नहीं है कि अजित पवार (Ajit Pawar) एनसीपी में लगातार कमजोर होती जा रही अपनी स्थिति से खुश नहीं थे, लेकिन सवाल ये है कि उन्होंने अचानक अपने चाचा को इतना बड़ा झटका देने का फैसला क्यों किया? असली वजह क्या है? इस पर कयास लगते रहेंगे, लेकिन अजित पवार की बगावत के बाद हुई बयानबाजियां तीन वजहों की तरफ इशारा कर रहे हैं.


1. NCP में साइडलाइन होने पर बागी हुए अजित पवार? 


...तो क्या, पार्टी की नई रूप रेखा में नई जिम्मेदारी न मिलने से अजित पवार (Ajit Pawar) नाराज थे? हालांकि, अजित पवार ने उस वक्त हुए बदलावों का स्वागत किया था, लेकिन ताजा बदलावों से साफ है कि उन्होंने अपना वक्त आने का इंतजार किया. कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने की रणनीति अजित पवार के घर हुई उस बैठक में बनी, जिसके बारे में शरद पवार (Sharad Pawar) को ज्यादा कुछ पता नहीं चल पाया और वो आखिरी तक इस बारे में अंजान ही रहे. हालांकि, शिंदे सरकार में बतौर उप मुख्यमंत्री शामिल होने के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में अजीत पवार ने दावा किया कि उन्हें पार्टी में सभी का आशीर्वाद हासिल है.


इसमें कोई शक नहीं है कि सरकार में शामिल होने के अजीत पवार (Ajit Pawar) के कदम में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की सहमति है.  प्रफुल्ल पटेल, शरद पवार के सबसे खास साथी माने जाते हैं, लेकिन इस बार राजभवन में हुए शपथ ग्रहण कार्यक्रम से लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस तक में वो अजित पवार (Ajit Pawar) के साथ नजर आए. लिहाजा अजित पवार की बगावत की एक और वजह गिनाई जाने लगी है. इस वजह के सूत्र 23 जून को पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक से जुड़े हैं.


2. राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्षी एकता से नाराजगी? 


दावा किया जा रहा है कि राहुल गांधी (Rahul GAndhi) के नेतृत्व में विपक्षी एकता से नाराजगी भी इस बगावत की बड़ी वजह बनी. मसला जब राहुल गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में किसी एक को चुनने का आया तो अजीत पवार (Ajit Pawar) ने नरेंद्र मोदी को चुना. कहा ये भी जा रहा है कि अजीत पवार को एक न एक दिन बीजेपी गठबंधन के साथ आना ही था.


3. अजित पवार ने केस से डर कर पार्टी तोड़ी? 


हालांकि, अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में अजित पवार (Ajit Pawar) ने इन कयासों को सिरे से खारिज कर दिया, लेकिन शरद पवार ने इशारों इशारों में बागी नेताओं पर चल रहे मामलों को इस बगावत से जोड़ दिया है. एनसीपी के कई नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार से जुड़े केस चल रहे हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि ये मामले इस फैसले की बड़ी वजह बने.


शिवसेना के साथ महाअघाड़ी बनाने के शरद पवार (Sharad Pawar) के फैसले को भी इस बगावत की बुनियाद के तौर पर देखा जा रहा है. दरअसल, सेकुलरवाद की सियासत करने वाली एनसीपी के शिवसेना के साथ आ जाने से पार्टी की वैचारिक ताकत टूटी तो अजित पवार (Ajit Pawar) को भी खेलने का खुला मैदान मिल गया, जिन्होंने महाराष्ट्र में शिवसेना के शिंदे गुट और बीजेपी की सरकार में शामिल होने का फैसला ले लिया.