Rafale jet shoots down spy balloon: चीन ने अब अगर भारत के आसमान में जासूसी गुब्बारे उड़ाने की कोशिश की तो उसे आकाश में ही उड़ा दिया जाएगा. भारतीय वायुसेना ने इस तरह के मिशन को अंजाम देने के लिए सीक्रेट ड्रिल की है.
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Indian Air Force Rafale jet shoots down spy balloon: चीन ने अगर अब जासूसी करने के लिए काफी ऊंचाई पर उड़ने वाले गुब्बारे भारतीय आसमान में भेजे तो अब उसकी खैर नहीं होगी. अब भारतीय वायुसेना उसे मार गिराने से संकोच नहीं करेगी. कुछ महीने पहले भारतीय वायुसेना ने लड़ाकू फाइटर जेट के जरिए ऐसे जासूसी गुब्बारों को मिसाइल से मार गिराने की ड्रिल की. इस ड्रिल में राफेल ने सटीक से टारगेट को मार गिराया.
राफेल ने आसमान में उड़ा दिया जासूसी गुब्बारा
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक यह ड्रिल भारतीय वायुसेना की पूर्वी कमान के तहत अंजाम दी गई. इस दौरान चीनी जासूसी गुब्बारे के आकार वाले एक गुब्बारे में पेलोड भरकर उसे 55 सौ फीट की ऊंचाई पर उड़ाया गया. इसके बाद राफेल फाइटर जेट ने उड़ान भरकर उस गुब्बारे को मिसाइल दागकर नष्ट कर दिया. गुब्बारे का मलबा बाद में जमीन पर गिरा.
अब चीन के जासूसी गुब्बारों की खैर नहीं
सूत्रों के मुताबिक भारतीय वायुसेना ने यह ड्रिल तब अंजाम देने का फैसला किया, जब अमेरिकी वायुसेना ने ऐसे ही एक चीनी जासूसी गुब्बारे को यूएस के आसमान के ऊपर उड़ने पर मार गिराया था. इससे पहले ऐसा ही एक रहस्यमयी चीनी गुब्बारा अंडमान-निकोबार के ऊपर नजर आया था. हालांकि तब भारत ने उस पर कोई एक्शन नहीं लिया था लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.
कुछ महीने पहले दिया गया ड्रिल को अंजाम
भारतीय वायुसेना की इस अहम ड्रिल के दौरान मौजूदा एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह उस समय वायुसेना के वाइस चीफ थे. वहीं मौजूदा वाइस चीफ एयर मार्शल पूर्वी वायु कमान के प्रभारी थे. जबकि मौजूदा पूर्वी कमान वायु प्रमुख एयर मार्शल सूरत सिंह एयर ऑपरेशन के डीजी थे.
हाईटेक जासूसी उपकरणों से लैस होते हैं गुब्बारे
बताते चलें कि भारत, अमेरिका समेत अपने तमाम विरोधी देशों की जासूसी करने के लिए चीन गुब्बारों का सहारा ले रहा है. ये गुब्बारे हाई टेक जासूसी उपकरणों और कैमरों से लैस होते हैं. ये इतनी ऊंचाई पर उड़ते हैं कि नीचे से देखने पर जल्दी से दिखते भी नहीं है. इन गुब्बारों को मार गिराने की तकनीक हर देश के पास नहीं है. ऐसे में भारत को भी अमेरिका की तरह ऐसे गुब्बारों को मार गिराने की तकनीक विकसित करना जरूरी हो गया है.