महाराष्ट्र के इस जिले में बच्चों का कुपोषण दूर करने के लिए चलाया जा रहा अनूठा मिशन, 166 आंगनबाड़ियों को मिल रहा फायदा
166 आंगनबाड़ियों में किचन गार्डन तैयार कर ताजा सब्जियां बच्चों को भोजन में परोसी जा रही हैं.
महाराष्ट्र: गडचिरोली देश के 25 अति पिछड़े जिलों में शुमार है. यह एक नक्सल प्रभावित जिला भी है. इस जिले के मुलचेरा में पिछले 3 सालों से एक अनूठा मिशन चलाया जा रहा है. मिशन का नाम है आंगनबाड़ी किचन गार्डन प्रोजक्ट. इस प्रोजेक्ट के तहत तहसील के 166 आंगनबाड़ियों में किचन गार्डन तैयार कर ताजा सब्जियां बच्चों को भोजन में परोसी जा रही हैं. इस प्रयास के बेहतर परिणाम सामने आए हैं. तहसील में 3 साल पूर्व महिला-बाल विकास प्रोजेक्ट के इंचार्ज बने विनोद हाटकर. जब वे यहां तैनात हुए तो गर्भवती माताएं आंगनबाड़ी में आने से हिचकती थीं. 2 से 6 वर्ष के बच्चे केंद्र में कम ही आते थे. ऐसे में विनोद हाटकर ने आंगनबाड़ी किचन गार्डन प्रोजेक्ट की शुरुआत की. तहसील के 166 ग्राम पंचायत पदाधिकारियों को इसके लिए तैयार किया गया.
एक-एक कर सभी आंगनबाड़ियों में किचन गार्डन बनाया गया. पिछले 3 सालों में इस गार्डन से निकली ताजा सब्जियां बच्चे तथा गर्भवती माताओं को आंगनबाड़ी की और खींच ला रही हैं. आंगनबाड़ी में बनी स्वादिष्ट खिचड़ी के प्रोटीन्स के साथ अब विटामिन और मिनरल्स की प्रचुर मात्रा ने कुपोषण की समस्या को नियंत्रण करने में मदद दी है जबकि गर्भवती माताओं को आंगनबाड़ी में मिल रहा आहार पोषण से भरा हुआ है.
मुलचेरा तहसील के 116 आंगनबाड़ियों में किचन गार्डन की कामयाबी को पूरे जिले ने सराहा है. बच्चे अब झूमते हुए आंगनबाड़ी पहुंच रहे हैं. गर्भवती माताएं ताजा आहार से लाभान्वित हो रही हैं. इस किचन गार्डन प्रोजेक्ट की कामयाबी ने कुपोषण की समस्या को जमीनी जवाब दे दिया है.
महिला एवं बालविकास अधिकारी विनोद हाटकर ने बताया की यह प्रोजेक्ट हमने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम अमृत आहार योजना के तहत चलाया है. जिससे आंगनबाड़ी केंद्र में आने वाले बच्चों के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं को पोषण से युक्त आहार मुहैया कराया जा सके. गर्भवती महिलाओं को ताजा सब्जियों के साथ आहार दिए जाने से खून में HB की मात्रा बढ़ती है. इसके अलावा 3 से 6 वर्ष के बच्चों में प्री प्राइमरी एजुकेशन को बढ़ावा देने में यह प्रोजेक्ट कारगर सिद्ध हो रहा है. ताजा सब्जियों से बनी खिचड़ी स्वादिष्ट होती है. जिससे गांव के अधिक मात्रा में बच्चे आंगनबाड़ी केंद्र पहुंचकर मिशन को सफलता मिलती है.
बालरोग विशेषज्ञ डॉ. गोपाल मुंधडा का कहना है कि यह एक काफी प्रेरणादाई प्रोजेक्ट है. बच्चों के आंगनबाड़ी में ताजी सब्जियां अगर मिलेंगी और वह सब्जी को तोड़ेंगे तो उन्हें सब्जियों के प्रति लगाव पैदा होगा और वह इस सब्जी को खुशी से खाएंगे भी. इन सब्जियों के द्वारा उन्हें विटामिन्स और मिनरल्स मिलेंगे. खिचड़ी के साथ दालों का समावेश कर प्रोटीन और फैट का समावेश भी आहार में होगा. दूध के साथ अगर यह दोनों दिए जाएं तो कुपोषण की समस्या को काबू में किया जा सकता है.
आंगनबाड़ी के आंगन उगाई जा रही सब्जियों ने बगीचे के रखरखाव तथा संरक्षण का चैलेंज सामने आया. योजना से हो रहे लाभ को देखते हुए ग्राम पंचायत पदाधिकारियों ने सुरक्षा जाली मुहैया कराई है. मेथी, चवलाई, पालक, मुली, गोभी, हरा धनिया, बैगन, लौकी, आदि ताजी सब्जियां अब किचन गार्डन से मिलने लगी हैं. इस प्रोजेक्ट ने ग्रामीणों की मानसिकता के साथ साथ नजरिया भी बदल दिया है. शिशु विशेषज्ञों ने इस मिशन की कामयाबी को प्रेरणादायी बताया है.