मुंबई : बंबई हाई कोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार को तब तक बैलगाड़ी दौड़ की अनुमति देने से इनकार कर दिया जब तक कि सरकार इसके लिए नियम तय नहीं कर देती. मुख्य न्यायमूर्ति मंजुला चेल्लुर और न्यायमूर्ति एन एम जामदार की पीठ ने कहा कि सरकार ने अब तक नियम नहीं बनाए हैं जैसा कि पशुओं पर क्रूरता की रोकथाम कानून में संशोधन के लिए परिकल्पना की गई है, तो अनुमति नहीं दी जा सकती. अदालत पुणे निवासी अजय मराठे की एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इस याचिका में मराठे ने अपने जिले में कल होने जा रही बैलगाड़ी दौड़ की ओर अदालत का ध्यान आकर्षित करते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की थी.


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सरकार ने कहा नियमों का मसौदा तैयार है


सरकार की ओर से अभिनंदन वजयानी ने अदालत को बताया कि नियमों का मसौदा तैयार है और उसे सरकार की वेबसाइट पर अपलोड भी किया जा चुका है ताकि संबंधित लोग उस पर अपने सुझाव तथा अपनी आपत्तियां पेश कर सकें. पीठ ने सरकार को याचिका के जवाब में दो सप्ताह के अंदर अपना हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया.


महाराष्ट्र विधानसभा ने पारित किया था विधेयक


महाराष्ट्र विधानसभा ने राज्य में बैलगाड़ी दौड़ फिर से शुरू करने के लिए इस साल अप्रैल में एक विधेयक पारित किया था. इससे पहले तमिलनाडु ने अपने सालाना आयोजन जल्लीकट्टू के नियमन के लिए एक कानून लागू किया था. पशुओं पर क्रूरता की रोकथाम (महाराष्ट्र संशोधन) विधेयक ग्रामीण महाराष्ट्र में लोकप्रिय खेल बैलगाड़ी दौड़ का नियमन करेगा. इस खेल पर वर्ष 2014 में इस आधार पर प्रतिबंध लगा दिया गया था कि इससे बैलों को पीड़ा और तकलीफ होती है.


महाराष्ट्र में उठी थी बैलगाड़ी रेस को दोबारा शुरू करने की मांग


राज्य के पशुपालन मंत्री महादेव जानकार ने तब कहा था कि परंपरा और संस्कृति के संरक्षण तथा उसे बढ़ावा देने में बैलगाड़ी दौड़ की अहम भूमिका को देखते हुए केंद्रीय कानून पशुओं पर क्रूरता की रोकथाम अधिनियम में संशोधन किया जा रहा है. तमिलनाडु सरकार द्वारा जल्लीकट्टू के नियमन के लए कानून लागू करने के बाद महाराष्ट्र में बैलगाड़ी रेस को पुन:आरंभ करने की मांग उठी.