Mamata Banerjee-Babun Banerjee: आगामी लोकसभा चुनावों के लिए टीएमसी (TMC) की हावड़ा सीट के उम्मीदवार प्रसून बनर्जी पर नाराजगी जताने के बाद बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने छोटे भाई बाबुन बनर्जी से सभी रिश्ते तोड़ने का सार्वजनिक ऐलान कर दिया था. हालांकि, यह पहली बार नहीं है कि दोनों भाई-बहन सार्वजनिक रूप से खुलकर एक दूसरे से लड़े हों. ममता बनर्जी पहले भी अपने भाई को सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करने के लिए COVID-19 महामारी के दौरान फटकार लगा चुकी हैं. 


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TMC कैंडिडेट के खिलाफ बाबुन ने ठोकी थी ताल


ममता बनर्जी के भाई बाबुन ने बुधवार को हावड़ा सीट से तृणमूल कैंडिडेट के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान किया.  उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा, 'टीएमसी उम्मीदवार प्रसून बनर्जी को टिकट मिलने से खुश नहीं हूं. प्रसून हावड़ा के लिए सही विकल्प नहीं हैं. कई सक्षम उम्मीदवार थे, जिन्हें नजरअंदाज कर दिया गया. पार्टी ने ठीक नहीं किया. मैं बीजेपी (BJP) में तो शामिल नहीं होउंगा लेकिन हावड़ा से निर्दलीय चुनाव लड़ूंगा.'


भाई के ऐलान के करीब एक घंटे बाद ममता बनर्जी ने कहा कि मैं और मेरा परिवार बाबुन से अपने सभी रिश्ते खत्म करते हैं.


दीदी के गुस्से से भैया के तेवर ढीले


बांग्ला मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक दीदी ममता बनर्जी द्वारा रिश्ता तोड़ने की बात के बाद ही भाई बाबुन के तेवर ढीले पड़ गए. बाबुन ने अपने बयान से यू टर्न लेते हुए कहा, 'ममता बनर्जी ने एक अभिभावक के रूप में जो कहा वह सही है. मैं दीदी की बात को आशीर्वाद के रूप में लेता हूं. मैं अकेला नहीं खड़ा हूंगा, मैं दीदी के लिए सब कुछ करूंगा.' इस तरह बाबुन हावड़ा में निर्दलीय चुनाव लड़ने के फैसले से भी पीछे हट गए. 


बाबुन बनर्जी की प्रोफाइल


बाबुन बनर्जी का जन्म बंगाली हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ. 50 साल के बाबुन सात बनर्जी भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं. परिवार में पांच भाई और दो बहनें हैं. बाबुन उर्फ ​​स्वपन बनर्जी की शिक्षा-दीक्षा वहीं हुई. बचपन से उनका लगाव फुटबॉल की तरफ था. परिवार की पार्टी से राजनीति में एंट्री लेने से पहले बाबुन खेल जगत की मशहूर हस्ती रहे हैं. एक फुटबालर के तौर पर उन्होंने नाम कमाया. शोहरत मिलने के बाद वो अर्जुन पुरस्कार विजेता चुने गए. बाबुन 2016 में बंगाल ओलंपिक एसोसिएशन के सचिव बनाए गए. वो मोहन बागान एथलेटिक क्लब के सेक्रेटरी हैं. बाबुन तृणमूल कांग्रेस खेल प्रकोष्ठ के मुख्य संरक्षक भी हैं.


 


2011 में ममता पहली बार पश्चिम बंगाल की सीएम बनीं. फिर उन्होंने सियासत में कदम रखा. टीएमसी के टिकट पर हावड़ा सीट से दो बार लोकसभा का चुनाव लड़ा. दोनो बार जीतकर दिल्ली पहुंचे. कुछ समय पहले उन्होंने कोलकाता की जगह हावड़ा से वोटर ID बनवाया था.


तभी से उनके हावड़ा जिले से चुनाव लड़ने की चर्चा चल रही थी. शायद यही वजह है कि वो हावड़ा से पार्टी कैंडिडेट प्रसून बनर्जी को लेकर बागी तेवर अपनाए थे.