CAA Mamata Banerjee: सीएए लागू होने के बाद विपक्ष ने केंद्र पर हमला शुरू कर दिया है. विपक्ष ने स्पष्ट कह दिया है कि लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा इसे लागू कर वोट बटोरना चाहती है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वे अपने राज्य में सीएए लागू नहीं होने देंगी. ममता के साथ केरल और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन और एमके स्टालिन ने भी सीएए का विरोध किया है. स्टालिन ने भी कहा कि वे अपने राज्य में सीएए नहीं लागू होने देंगे.


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सीएए पर फूटा ममता का गुस्सा


ममता बनर्जी ने कहा कि अगर नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) लोगों के समूहों के साथ भेदभाव करता है, तो वह इसका विरोध करेंगी. सीएए और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के लिए संवेदनशील करार देते हुए बनर्जी ने कहा कि वह लोकसभा चुनाव से पहले अशांति नहीं चाहती हैं.


क्या कहा ममता ने?


राज्य सचिवालय में जल्दबाजी में बुलाए गए एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, बनर्जी ने कहा, ‘ऐसी खबरें हैं कि सीएए को अधिसूचित किया जाएगा. मैं यह स्पष्ट कर दूं कि हम लोगों के साथ भेदभाव करने वाली किसी भी चीज का विरोध करेंगे.’ उन्होंने कहा, ‘उन्हें (केंद्र) नियम सामने आने दीजिए, फिर हम नियमों को पढ़ने के बाद इस मुद्दे पर बात करेंगे.’


विजयन का सीएए लागू करने से इनकार


केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) को सांप्रदायिक आधार पर विभाजन पैदा करने वाला कानून करार दिया. उन्होंने कहा कि इसे दक्षिणी राज्य में लागू नहीं किया जाएगा. सरकार ने बार-बार कहा है कि सीएए केरल में लागू नहीं किया जाएगा, जो मुस्लिम अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जे का नागरिक मानता है. यह रुख बरकरार है. सांप्रदायिक रूप से विभाजनकारी इस कानून के खिलाफ पूरा केरल एकजुट होगा.


एमके स्टालिन ने भी केंद्र को घेरा


तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार के विभाजनकारी एजेंडे ने नागरिकता अधिनियम को हथियार बना दिया है. इसे अधिनियमन के माध्यम से मानवता के प्रतीक से धर्म और नस्ल के आधार पर भेदभाव के उपकरण में बदल दिया है. मुसलमानों और श्रीलंकाई तमिलों को धोखा देकर उन्होंने विभाजन के बीज बोए. जनता उन्हें करारा सबक सिखाएगी.


अखिलेश यादव ने साधा निशाना


सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी सीएए नियम पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि यह भाजपा का ‘ध्यान भटकाने का खेल’ है. सपा प्रमुख ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्‍स’ पर सवाल उठाते हुए पोस्‍ट में कहा, ‘जब देश के नागरिक रोजी-रोटी के लिए बाहर जाने को मजबूर हैं तो दूसरों के लिए ‘नागरिकता कानून’ लाने से क्या होगा?’  जनता अब भटकावे की राजनीति का भाजपाई खेल समझ चुकी है. उन्होंने सवाल किया, ‘भाजपा सरकार ये बताए कि उनके 10 साल के कार्यकाल में लाखों नागरिकों ने देश की नागरिकता क्यों छोड़ दी. चाहे कुछ हो जाए कल ‘चुनावी बॉण्ड’ का हिसाब तो देना ही पड़ेगा और फिर ‘राहत कोष’ का भी.’


(एजेंसी इनपुट के साथ)